होली के बहाने फिर याद किये जायेगे बाबा चन्द्रसेन 

Baba Chandrasen will be remembered again on the pretext of Holi
Baba Chandrasen will be remembered again on the pretext of Holi
रदोई(अम्बरीष कुमार सक्सेना)  हरियाणा के रहने वाले बाबा चन्द्रसेन जिन्होंने न केवल हरदोई की पौराणिक होलिका दहन परंपरा को परिचालित किया, बल्कि अंग्रेजों के शासन काल में उस परम्परा के बहाने हिन्दुओं को एकजुट करने का ऐतिहासिक काम किया। भक्त प्रहलाद नगरी हरदोई की सबसे पुरानी सबसे भव्य होलिका दहन के दिन बाबा चन्द्रसेन को हरदोई का हर कोई याद करता है।


पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि हरियाणा के नारनौल जिले में रहने वाले बाबा चन्द्रसेन किसी काम से हरियाणा से बिहार जा रहे थे।हरदोई में ठहराव के दौरान बाबा चन्द्रसेन को हरदोई की आबोहवा ऐसी रास आई कि वे यहीं के होकर रह गए। उन्होंने अपना घर भी यहीं बसा लिया। भक्त प्रहलाद के नाम से हरदोई का नाम
पूरे विश्व विख्यात तो है ही, लेकिन जब बाबा चन्द्रसेन को हरदोई आकर पता चला कि यहां कहीं भी होलिका का नाम तक नहीं है। तब उन्होंने पंडितों और पुरोहितों से उस स्थान की खोज करवाई। पंडितों ने काफी ग्रंथों की खोज की तब उन्हें विष्णु पुराण में जिस भौगोलिक परिदृश्य का वर्णन प्राप्त हुआ, उसी स्थान पर उन्होंने होलिका दहन की परंपरा को पूरे विधि विधान से आरंभ किया।

होलिकोत्सव के दिन सुबह से ही बाबू दुलीचंद्र चौराहे पर मारवाड़ी समाज की महिलाएं उपवास रख कर पूरे विधि-विधान से गाय के गोबर के बड़कुले (उपलों) और कच्चा सूत जिसे कुकड़ी कहा जाता है, से जीवित होलिका माता की पूजा कर अपने परिवार की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है कि होलिका माता जिस तरह अपने बालक प्रहलाद की रक्षा की थी उसी तरह इन बच्चों की भी रक्षा करना। अंग्रेजी शासन काल में नई पूजा परंपरा प्रारम्भ करना आसान नहीं था। तब बाबा चन्द्रसेन ने बड़ी चतुराई से उच्च अधिकारियों को समझा बुझा कर इस परम्परा की न केवल शुरुआत की वरन उस समय हिन्दुओं को एकजुट होने का एक नायाब तरीका दे दिया। यही कारण है की यहां होलिका दहन के तुरंत पश्चात सर्व समाज
के सभी लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं और बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते है। बाबा चंद्रसेन परिवार के वरिष्ठ सदस्य अचल अग्रवाल व सोमेंद्र अग्रवाल ने 170 वें होलिकोत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 रात्रि 10:30 बजे होली पुजारी के सरंक्षण में समाज के हर वर्ग की उपस्थिति में पूरे विधि विधान से सम्पन्न होगा।जिसमे होलिका माता की पूजा कर हलवे पूरी का भोग लगाया जाएगा। होलिका पूजा का ये सिलसिला अगले दिन होली के रंग चलने तक अनवरत जारी रहेगा। महिलाओं द्वारा होलिका माता पूजन 24 मार्च को सुबह 10 बजे से देर शाम तक चलेगा।

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