अपने आपको जानो- प्रेम रावत
एक किसान जंगल से गुजर रहा था तो अचानक उसे शेर का एक छोटा-सा बच्चा मिला
एक बार की बात है, एक किसान जंगल से गुजर रहा था तो अचानक उसे शेर का एक छोटा-सा बच्चा मिला। उसने इधर-उधर देखा तो उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। शेर का बच्चा भूख और प्यास के कारण अधमरा-सा हो गया था। उसकी यह दशा देखकर किसान को दया आ गई और वह उसे उठाकर अपने घर ले आया। उसको खिलाया-पिलाया और जब शेर का बच्चा तंदुरुस्त हो गया तो किसान ने सोचा कि इसे कहां रखा जाए। किसान ने काफी भेड़ें पाल रखी थी तो उसने उस शेर के बच्चे को भी इन्हीं भेड़ों के साथ रख दिया।
दूसरे दिन जब भेड़ें चरने के लिए बाहर निकलीं तो शेर का बच्चा भी उनके साथ बाहर निकला। इसी तरह सालों बीत गए और शेर का बच्चा उन भेड़ों के साथ ही चरता रहा, उन्हीं के साथ निकलता था और उन्हीं के साथ घर वापस आता था।ऐसे ही एक दिन जब वह बच्चा भेड़ों के साथ चर रहा था, तो अचानक एक बड़ा शेर जंगल से आ गया और उसने एक भयभीत करनेवाली दहाड़ मारी। दहाड़ सुनकर छोटी भेड़ें कांप गई और झाड़ियों में छिपने लगीं। शेर का बच्चा, जो अब किशोर हो चुका था, वह भी भेड़ों की तरह डरकर छिपने लगा।जब बड़े शेर ने देखा कि भेड़ों के साथ एक छोटा शेर भी छिपने की कोशिश कर रहा है, तो बड़ा शेर छोटे शेर के पास गया और उससे पूछा कि ‘‘तुम क्या कर रहे हो ?’’
छोटे शेर ने कहा कि ‘‘मैं छिपने की कोशिश कर रहा हूं।’’
शेर ने कहा कि ‘‘तुम क्या समझते हो, क्या मैं तुम्हें खा जाऊंगा ?’’
तो छोटे शेर ने कहा, ‘‘हां, आप मुझे खा जायेंगे!’’
शेर ने कहा, ‘‘नहीं, नहीं। तुम जानते नहीं हो कि तुम कौन हो।’’
छोटे शेर ने कहा, ‘‘हां, मैं नहीं जानता हूं कि मैं कौन हूं, परंतु यह जानता हूं कि तुम मुझे खा जाओगे, इसलिए मेरा छिपना बहुत जरूरी है।’’
शेर ने कहा, ‘‘नहीं, सच में तुम्हें पता नहीं है कि तुम कौन हो। तुम समझते हो कि तुम भी भेड़ हो, लेकिन तुम भेड़ नहीं हो। आओ, मेरे साथ आओ!’’
वह उसे तालाब के किनारे ले गया और कहा कि ‘‘देख, अपनी परछाईं को देख!’’
जब छोटे शेर ने अपनी परछाईं देखी तो कहा, ‘‘सचमुच में मैं उन भेड़ों की तरह नहीं हूं। मैं तो आपकी तरह हूं!’’ वह बड़े शेर के प्रति अपना आभार प्रकट करने लगा।
तो शेर ने कहा कि ‘‘क्यों! मैंने तो तुम्हें सिर्फ यह दिखाया है कि तुम असल में कौन हो! तुम भेड़ नहीं हो। ठीक है, तुम भेड़ों के साथ रहते थे, परंतु तुम भेड़ नहीं हो। तुम उनके साथ रहते-रहते समझने लगे थे कि तुम भेड़ हो!’’
समझो कि तुम्हारा असली स्वरूप क्या है ? तुम कौन हो ? अभी तक तो तुमने नातों को समझा है कि ‘‘मैं किसी का बेटा हूं, मैं किसी का चाचा हूं।’’ इन्हीं चीजों को समझा है। पर असली नाता क्या है ? क्या चीज है वह, जिसके होने से सबकुछ है और जिसके अभाव में कुछ भी नहीं है। जिसको हम पहचानने की कोशिश करते हैं, वह सब बाहर की तरफ है। परंतु हमारे अंदर जो स्थित है, क्या हमने उसको भी पहचानने की कोशिश की है कि हमारा असली स्वरूप क्या है ? जिस पल हम यह पहचान जाएंगे कि हमारा असली स्वरूप क्या है, तो हमारे बहुत सारे भ्रम मिट जाएंगे।आप अपनें घर पर मोबाइल में टाइमलेस टुडे,प्रेम रावत ऑफिशियल यूट्यूब चैनल के द्वारा देख व सुन सकते हैं आरेंद्र कुशवाहा, दीप कुमार सोनी, सुशील श्रीवास्तव, रामबरन वर्मा, राममुरारी कुशवाहा, विजय कुमार गुप्ता, जयप्रकाश गुप्ता, मनोज कुमार गुप्ता, करूणां शंकर मिश्रा, पिंकी गुप्ता, दुर्गा गुप्ता, शकुंतला गुप्ता, पूनम, मुनेश्वर दयाल मिश्रा, भैयालाल, रामसागर बाजपेई, ममता मिश्रा, लज्जावती, बबली सिंह, अशोक गुप्ता, दयाराम, बाबूराम कुशवाहा, विमलेंदृ अवस्थी, राम पाल, बाबूराम शर्मा, ब्रजकिशोर, उमा देवी, परमेश्वरदीन, विश्राम,रोहित गुप्ता, सुधीर गुप्ता,आदि लोग मौजूद रहे।
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय