आंखें खोल कर पढ़े आर्टिकल हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तान की गाने वाले

आंखें खोल कर पढ़े आर्टिकल हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तान की गाने वाले

जन्नत की हकीकत सामने आरही है, दीन पर आधारित वह जन्नत जिसका सपना किसी समय मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को दिखाया। इसी हसीन ख्वाब में आकर जिन लोगों ने अपने ही मादरे वतन हिंदुस्तान के खिलाफ तलवारें उठाईं, अपने ही पुरखों की भूमि को खुद के ही निर्दोष हिंदू-सिख बंधुओं के खून से सींचा अब वे पछता रहे हैं। आज उनके दिलों में आक्रोश वैसा ही है परंतु नारे बदल रहे हैं। 'हर हाल में लेंगे पाकिस्तान' का नारा अब 'हमें पाकिस्तान से बचाओ' और 'हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान' का नारा अब 'फ्री कराची' में बदल चुका है। मुहाजिर अपनी जन्नत पाकिस्तान से दुखी हैं, वही मुहाजिर जिन्होंने भारत को छोड़ कर पाकिस्तान को अपना खुदा की धरती माना और मारकाट मचाते हुए यहां से विदा हुए। आज वे दुखी हैं, पाकिस्तान के रूप में जन्नत मिले को 70 साल हो गए परंतु अभी तक वहां के लोगों ने उन्हें हमवतन नहीं माना। उनकी पहचान है मुहाजिर यानि अपना देश छोड़ कर दूसरे देश में रहने वाला। पाकिस्तानी मानते हैं कि इन मुहाजिरों का अपना देश भारत है और वह दूसरे वतन में आए हुए हैं। अमेरिका में 15 जनवरी को आयोजित मार्टिन किंग लूथर दिवस पर 'फ्री कराची' नाम का अभियान शुरू किया गया जिसमें मुहाजिरों के अधिकारों की आवाज उठाई गई है। भारत से आजादी मांगने और भारत के टुकड़े करने वाले नए युग के मुस्लिम लीगियों व जेएनयू के वामपंथियों को इन मुहाजिरों की हालत जरूर देखनी चाहिए।

अमेरिका में चले इस अभियान में वॉशिंगटन शहर में 100 टैक्सियों के ऊपर फ्री कराची लिखे हुए बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं। बैनर पर लिखा है-पाकिस्तान के मुहाजिरों को बचाएं। ये टैक्सियां शहर भर के अहम इलाकों जैसे व्हाइट हाउस, अमरीकी कांग्रेस और विदेश मंत्रालय समेत सांसदों और सीनेटरों के दफ़्तरों के आसपास गश्त लगाती रहती हैं। अमरीका में रहने वाले कुछ पाकिस्तानी मुहाजिर लोग इस मुहिम में शामिल हैं।
फ्री कराची मुहिम के प्रवक्ता नदीम नुसरत इस अभियान के बारे में कहते हैं, इसका उद्देश्य यह है कि दुनिया को कराची में और सिंध के दूसरे इलाकों में रहने वाले शांतिप्रिय मुहाजिरों के हालात के बारे में जानकारी दी जाए, जिन्हें पाकिस्तान के सैन्य और सुरक्षा बल प्रताडि़त कर रहे हैं। अमरीकी कांग्रेस की विदेशी मामलों की समिति की बैठक में भी इस मुहिम के प्रतिनिधि शामिल हुए और कराची में मुहाजिरों के साथ अत्याचारों के बारे में बयान दर्ज कराए। अमरीकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के एक सदस्य डेना रोरबाकर ने भी कराची में रहने वाले मुहाजिरों के पक्ष में बात की। डेना रोरबाकर ने कहा, हमें उन सभी गुटों की मदद करनी चाहिए जिन्हे पाकिस्तान में प्रताडि़त किया जा रहा है। हमें बलोचों और मुहाजिरों की मदद करनी चाहिए।
अभियान के कर्ताधर्ता नदीम नुसरत बताते हैं कि सन 1992 से अब तक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 22 हजार उर्दू बोलने वाले मुहाजिरों को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतारा है। उनका कहना है कि सन 2013 से अब तक मुहाजिरों की सैकड़ों लाशें सड़कों पर फेंकी हुई मिली हैं जिनको प्रताडि़त करके मार डाला गया था।
कराची शहर में प्रतिबंधित गुटों के लोग खुले आम नफरत की सोच का प्रचार करते हैं और सुरक्षा बल उनको सुरक्षा भी प्रदान करते हैं, वहीं मुहाजिरों की मुख्य राजनीतिक पार्टी मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट या एमक्यूएम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कराची में करीब डेढ़ करोड़ लोग रहते हैं और इनमें सबसे बड़ी संख्या मुहाजिरों की है। कराची शहर से ही पाकिस्तान को 70 प्रतिशत राजस्व मिलता है, लेकिन सरकारों द्वारा मुहाजिरों के साथ भेदभाव किया जाता है। मुहाजिरों को न तो पुलिस में और न ही अर्ध-सैन्य बलों में नौकरी मिलती है। कराची में मुहाजिरों को सुरक्षा बल अगवा कर लेते हैं और फिरौती देने के बाद रिहा करते हैं और जो न दे सकें उनको या तो फर्जी केस में फंसा दिया जाता है या बेरहमी से मार दिया जाता है।
यह अभियान निराधार व राजनीतिक नहीं, दुनिया में मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली एमनेस्टी इंटरनैशनल भी पाकिस्तान में मुहाजिरों व बलोचों पर चिंता जता चुकी है। अमेरिका के सांसद ब्रैंड शर्मन ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन पर अपनी चिंता जाहिर की है। पिछले एक साल में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यमून राइट वाच और विदेश विभाग की रिपोर्ट में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर पाकिस्तान और उसमें भी सिंध में लोगों के लापता होने पर गंभीर चिंता जताई गई है। शर्मन ने कहा है कि इस तरह से मानवाधिकारों के उल्लंघन को अनुत्तरित नहीं किया जा सकता।
ऐसे ही पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हजारों बलूच नागरिकों के लापता होने की समस्या गंभीर बनी हुई है। पिछले कई वर्षों से उनका कुछ अता-पता नहीं लग रहा। इसके पीछे पाक सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा है। पाकिस्तान में न तो अल्पसंख्यक हिंदू-इसाई सुरक्षित हैं और न ही अहमदीया व शीया मुसलमान। इनको न तो समान अवसर मिले हैं और आस्था को आधार बना कर अत्याचार भी होते रहते हैं। फ्री कराची अभियान से आंखें खुल जानी चाहिएं उन वामपंथियों व नव मुस्लिम लीगियों विशेषकर कश्मीरियों की जो उस भारत से आजादी की मांग करते हैं जहां दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्वतंत्र व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं। हंस कर लिया है पाकिस्तान और लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान नारे लगाने वाले आज रो-रो कर कह रहे हैं उस डाली को कभी न काटो जिस पर तुम पले बढ़े हो।
- राकेश सैन

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