Parenting Tips for Parents हर बच्चे में एक अलग skill, intellect, talent होता है, जिसे आप दूसरे बच्चे से compare नहीं कर सकते

Compit और Comparison कहीं ना कहीं बच्चे के mental health को effect कर सकता है

parenting tips for children
बच्चे के हौसले की सीढ़ी बनिए, फिर देखिए कैसे बच्चा आगे बढ़ता है

 

हौसले की सीढ़ी  ::

Lifestyle Desk ,New Delhi "कल ठीक 9 बजे ready रहना पापा, हमें नमन की स्कूल  के लिए निकलना है", रोहन ने shoe lace बांधते हुए अपने पापा कमलेश जी को कहा"। उसके बाद Dinning टेबल पर रखे lunch बॉक्स और keys लेते हुए वो अपने ऑफिस के लिए निकल गया। माला भी एक working woman थी, जो कि एक कारपोरेट कंपनी में HR professional थी, रोहन एक सीनियर बैंकिंग मैनेजर था। नमन उनका इकलौता बेटा था जो class 10 में 93% और Maths में school में highest scorer student था, उसकी award ceremony के लिए घर में सभी खुश और excited थे।  लेकिन रोहन को इस बात का अफसोस भी था कि नमन science sub. में 88 % ही score कर सका और उसी की वजह से उसकी overall top position रह गई, हालांकि माला और कमलेश जी को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था, उनके अनुसार बच्चे ने अपने से जो मेहनत करके स्कोर किया है वो बहुत अच्छा है, उनको तो नमन पर बहुत proud feel हो रहा था। 

"Result" वाले दिन भी जैसे ही net पर marksheet देखी, रोहन खुश होने की बजाय नमन को बार बार यही बोल रहा था कि, "Science में इतने कम स्कोर कैसे आए, 90 से ऊपर आते तो बेस्ट होता, टॉपर होने का चांस भी रहता और आगे भी stream selection में help मिलती"। नमन रूआंसा सा हो गया, फिर माला ने उसे प्यार से गले लगाया उसके माथे को चूमा और एक बड़ा रसगुल्ला उसके मुंह में डाल दिया। मेरा राजा बेटा तो सबसे प्यारा है, मां का दुलारा है, सबकी आंखों का तारा है"। माला बोली, मैं अभी नमन की पसंद की चॉकलेट brownie बनाती हूं, तब तक तुम दादू के पास जाके उन्हें भी अपना result बता आओ"। अपनी मां से मिले इस असीम दुलार के बाद वो सीधा अपने दादा जी के पास गया और उनके पैर छूने लगा, "दादा मेरे 10 में 93% marks आए हैं और Maths में highest 100%"।

बच्चो का मनोबल बढ़ाएं 


"अरे वाह मेरे शेर, मज़ा आ गया सुनकर, कमलेश जी ने नमन को अपने गले लगा लिया और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरने लगे, फिर उन्होंने अपने कुर्ते की जेब से अपना पर्स निकला और नमन को शगन दिया, और कहा तुम इस सिन्हा परिवार की शान हो मेरे शेर, तुम तो अपने पिता से भी आगे निकल गए"।

नमन ने उन्हें बताया कि किस तरह रोहन उसकी performence से ज्यादा खुश नहीं हैं, कमलेश जी ने कहा कि वो इसकी चिंता छोड़कर आज के दिन को अच्छे से celebrate करे और फिर अपने आगे की studies के बारे में सोचे। " Enjoy My Sher Bachha".. कमलेश जी ने खुशी और उत्साह से जोर से बोला और फिर वो रोहन के पास चल दिए जो living area में अपने laptop पर कुछ काम कर रहा था। क्यूं उस मासूम से उसकी आज की खुशी छीन रहा है बेटा, नमन ने बिना किसी coaching और guidence से अपनी self study के बूते पर इतना अच्छा score किया है, तुझे तो गर्व होना चाहिए, तेरी डांट की वजह से उसकी मुस्कान दबी दबी सी है, वो खुलकर खुश भी नहीं हो पा रहा है, ऐसा मत कर बेटा और जाकर उसे प्यार से गले लगा "।
2, 4 marks ऊपर नीचे होने से किसी भी बच्चे का talent उसकी skill कम नहीं आंकी जा सकती। हर बच्चे का अपना एक अलग intelluctual level होता है।

दूसरे बच्चों से compare न करें 

Compit और Comparison कहीं ना कहीं बच्चे के mental health को effect कर सकता है, फिर नमन तो इतना प्यारा, समझदार और होशियार बच्चा है, हर activity में excel करता है, अगर हम उसे बढ़ावा नहीं देंगे तो और कौन देगा बेटा, परिवार से ही बच्चे को ताकत और हिम्मत मिलती है, जिससे वो जीवन में आगे तरक्की करता है और शिखर तक पहुंचता है, तू खुद को हो देख ले "। "और ये भी याद कर कि तेरा खुद का 10 का score 76% था, कमलेश जी ने हंसते समझाते रोहन के कंधे पर हाथ रखा और  आगे बोला, अपनी महत्वाकांक्षाओं का बोझ उस बच्चे पर मत डाल, वो अभी मासूम है उसे प्यार और encouragement चाहिए और कुछ नहीं"। 

"जी पापा आप सही कह रहे हैं, इतना कहकर उसने नमन को आवाज लगाई जो कि अपनी मां के साथ kitchen में था, रोहन ने नमन को गले लगाया और थोड़ा जोर लगा के  ऊपर उठाया और बोला... पापा का भी शेर बच्चा... बोलो क्या gift चाहिए। माला किचन के खिड़की से देख रही थी, खुशी से उसकी आंखें नम थीं और चेहरे पर अपने बच्चे पर होने वाले गर्व की गीली सी लाली। 

Function वाले दिन नमन को 'best student' के अवार्ड से felicitate किया गया, auditoruim तालियों से गूंज रहा था, सभी teachers, faculty members ने नमन और उसके family members को बधाई थी। 

अपनी इच्छाएं बच्चों पर न थोपें 

बच्चे की सफलता मां बाप की सबसे बड़ी खुशी होती है। कई बार वो अपने अधूरे सपने अपने बच्चे की आंखों से पूरा होता देखना चाहते हैं, लेकिन ये सही नही है एल। हर पीढ़ी एक अलग और नए दौर में पैदा होती है, समाज बदलता है, परिप्रेक्ष्य बदलता है। अपनी इच्छाओं के बोझ तले बच्चे को दबाना ठीक नहीं है। हर बच्चे में एक अलग skill, intellect, talent होता है, जिसे आप दूसरे बच्चे से compare नहीं कर सकते। अपने बच्चे को अपनी मरजी से बिना किसी दबाव के बढ़ने दीजिए, पढ़ने दीजिए। अपने दिमाग से competition, comparison का सांप हटा दीजिए...
बच्चे के हौसले की सीढ़ी बनिए, फिर देखिए कैसे बच्चा आगे बढ़ता है। 

~नीतू माथुर

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