स्कूल की जमीन बेचने के निर्णय पर दिल्ली सरकार, एनडीएमसी को हाईकोर्ट का नोटिस
वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की पीठ ने सोमवार को दिल्ली सरकार और एनडीएमसी के अलावा ओमेक्स ग्रुप तथा दिल्ली के बाल अधिकार रक्षा आयोग को भी नोटिस भेजा।
एनडीएमसी ने करोलबाग के बैंक स्ट्रीट स्थित प्राइमरी स्कूल की 4,100 वर्ग मीटर जमीन 181 करोड़ रुपये में ओमेक्स ग्रुप को बेचने का निर्णय लिया। यह स्कूल 1927 में बनाया गया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि स्कूल की जमीन स्कूल चलाने के अलावा किसी अन्य काम के लिए इस्तेमाल में नहीं लाई जा सकती।
याचिकाकर्ता ने बताया कि साल 2019 में एनडीएमसी ने बैंक स्ट्रीट की स्कूल बिल्डिंग का इस्तेमाल बंद कर दिया और स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। एनडीएमसी ने स्कूल को, जहां शिफ्ट किया, वह जगह करीब 1,420 वर्ग मीटर है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उस जगह पर यानी शिवनगर स्कूल में न ही बच्चों के लिये खेल का मैदान है और न ही खुली हरियाली वाली जगह है।
शिवनगर स्कूल पहले से ही बच्चों से खचाखच भरा था और कोरोना महामारी के बाद वहां भीड़ और बढ़ गई है। कई अभिभावकों ने कोरोना महामारी के दौरान अपने बच्चों का नाम सरकारी स्कूल में लिखवाया है।
दिल्ली सरकार और नगर निगम का यह फर्ज है कि वह 14 साल की आयु तक के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराये। इसके अलावा बाल अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जिम्मेदारी है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर निगम को स्कूल बेचने की इजाजत दी गई तो बच्चों को अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने के संवैधानिक कर्तव्य से सरकार मुंह नहीं मोड़ सकती है।
याचिका में बताया गया है कि स्कूल परिसर में 43 पेड़ हैं, जो 50 से 100 साल पुराने हैं और इसी कारण बागवानी विभाग ने साल 2019 में स्कूल को देखभाल में लिया था। ये पेड़ भी काट दिये जायेंगे अगर ओमेक्स ग्रुप को वहां निर्माण कार्य करने दिया गया ।
--आईएएनएस
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