आरआरआर, बाहुबली के बाद विजयेंद्र प्रसाद ने लाचित बरफूकन पर लिखी किताब

नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा उनकी कहानी को पुनर्जीवित किए जाने के बाद 17वीं सदी के लड़ाके लाचित बरफुकन की कहानी को आरआरआर के पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और राज्यसभा सांसद विजयेंद्र प्रसाद ब्रह्मपुत्रा: द अहोम सन राइजेज (बुक 1) नामक उपन्यास में जीवंत कर रहे हैं।
आरआरआर, बाहुबली के बाद विजयेंद्र प्रसाद ने लाचित बरफूकन पर लिखी किताब
नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा उनकी कहानी को पुनर्जीवित किए जाने के बाद 17वीं सदी के लड़ाके लाचित बरफुकन की कहानी को आरआरआर के पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और राज्यसभा सांसद विजयेंद्र प्रसाद ब्रह्मपुत्रा: द अहोम सन राइजेज (बुक 1) नामक उपन्यास में जीवंत कर रहे हैं।

कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के पटकथा लेखक और एसएस राजामौली के पिता विजयेंद्र प्रसाद की यह किताब हार्परकॉलिन्स पब्लिसर्स इंडिया द्वारा 30 मई को रिलीज हो रही है। उन्होंने इसे लिखने के लिए पूर्व तटरक्षक अधिकारी और जासूसी फिक्शन लेखक कुलप्रीत यादव का सहयोग लिया था।

एक्शन और रोमांस को मिलाने वाली यह कहानी लाचित के राजकुमारी पद्मिनी के प्यार में पड़ने से शुरू होती है जो अहोम साम्राज्य के शासक स्वर्गदेव जयध्वज सिंघा की बेटी है। जब राजा को उनके रोमांस के बारे में पता चलता है और वह लाचित को राजधानी जोरहाट से निकाल देता है।

कुछ दिनों बाद अहोम की राजधानी पर औरंगजेब की सेना हमला करती है और राजा एक शांति संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हो जाता है। वह मुगलों को अपने राज्य का कुछ नियंत्रण सौंप देता है। लाचित और उनके परम मित्र राजकुमार चक्रध्वज को संधि की शर्तें अपमानजनक लगती हैं।

कुछ ही दिनों बाद उनकी मुसीबतें बढ़ जाती हैं। अहोमों के प्रति वफादार एक राज्य का राजकुमार अन्य छोटे शासकों को गुमराह कर जोरहाट पर हमला करता है। लाचित और राजकुमार चक्रध्वज राजधानी की रक्षा करते हैं। इस लड़ाई में अहोम साम्राज्य के भविष्य को हमेशा के लिए बदलने की ताकत है।

क्या लाचित, राजकुमार चक्रध्वज और राजकुमारी पद्मिनी विद्रोहियों को हराकर और मुगलों के शिकंजे से मुक्त होकर अहोमों के सम्मान को बहाल कर सकते हैं? बजरंगी भाईजान और मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी के अलावा दो बाहुबली फिल्मों के लिए कई पुरस्कार जीत चुके लेखक की कहानी का सार यही है।

प्रसाद के सहयोगी, कुलप्रीत यादव नौसेना अधिकारी अकादमी से प्रशिक्षित हैं जिन्होंने एक वर्दीधारी अधिकारी के रूप में दो दशक तक सेवा दी और अपने करियर में सफलतापूर्वक तीन जहाजों की कमान संभाली।

भारतीय तट रक्षक बल से 2014 में से उनकी सेवानिवृत्ति के बाद से उन्होंने जासूसी, सैन्य इतिहास और सच्चे अपराध जैसी कई विधाओं में किताबें लिखी हैं। वह मुंबई में रहते हैं और उनकी नवीनतम द बैटल ऑफ रेजांग ला (पेंगुइन, 2021) है।

--आईएएनएस

एकेजे

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