Annu ने King Khan को बताया 'कट्टर मुस्लिम'?

 Why did Annu Kapoor call Shahrukh Khan communal? Is the reality of Chak De India something else?
 
 
Annu ने King Khan को बताया 'कट्टर मुस्लिम'?
साल 2007 में किंग खान यानी शाहरुख खान की एक फिल्म आई थी ‘चक दे इंडिया’... जो हिंदी सिनेमा की एक कल्ट क्लासिक फिल्म मानी जाती है... फिल्म में शाहरुख की एक्टिंग हो या फिर सपोर्टिंग कास्ट का काम, सबकी जमकर तारीफ की जाती है... फिल्म को आए 17 साल हो गए लेकिन फिर भी इसके डायलॉग्स, गाने और सीन्स को आज भी याद किया जाता है... ये समझ लीजिए कि आज भी जब भी कभी इंडियन क्रिकेट टीम, इंडियन हॉकी टीम या इंडियन फुटबॉल टीम इंटरनेशनल लेवल पर कोई मैच जीतती है तो चक दे इंडिया गाना बजाया जाता है... जो कि इस फिल्म का टाइटल सॉन्ग है... 

लेकिन अगर हम आपको बताएं कि इस फिल्म की हकीकत तो कुछ और ही है तो क्या आप यकीन करेंगे? भई मंडी’, ‘उत्सव’ और ‘मिस्टर इंडिया’ जैसी सदाबहार फिल्मों में अपने दमदार काम के लिए जानें जाने वाले एक्टर अन्नू कपूर ने तो चक दे इंडिया मूवी को लेकर कुछ ऐसी बातें कहीं हैं जिन्हें सुनने के बाद वाकई एक बार ये ख्याल जाता है कि कैसे हमारे इमोशंस का फायदा उठाकर हकीकत को ठीक उल्टे तरीके से हमारे सामने पेश किया जाता है... खैर, ज़्यादा इधर-उधर की बात ना करते हुए डायरेक्ट पॉइंट पर आते हैं... 

दरअसल, अन्नू कपूर ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने सोशल मीडिया पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है... अन्नू कपूर ने शाहरुख खान की मूवी चक दे इंडिया की तरफ इशारा करते हुए कहा कि शाहरुख खान का किरदार कबीर खान सही मायनों में कोच मीर रंजन नेगी पर बेस्ड था... उन्होंने ये भी दावा किया कि फिल्म मेकर्स ने जानबूझकर शाहरुख के इस केरेक्टर को मुस्लिम में बदल दिया... उन्होंने साफ सीधे लफ्ज़ों में बताया कि ‘चक दे इंडिया में लीड रोल एक मशहूर कोच, नेगी साब पर बेस्ड है लेकिन भारत में, वो मुस्लिम को एक अच्छे किरदार में दिखाना चाहते हैं और एक पंडित का मजाक उड़ाते हैं... तो एक तरह से अन्नू कपूर ने शाहरुख खान और बाकियों को कम्युनल बताया है... 

अब अन्नू कपूर के इस कमेंट ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस छेड़ दी है... जहां कई यूजर्स ने अन्नू का सपोर्ट कर रहे हैं तो वहीं काफी लोगों ने फिल्म पर इस तरह के कोमेंट करने के लिए अन्नू कपूर की जमकर क्लास भी लगाई है... लेकिन असल हकीकत क्या है, चलिए हम कुछ अहम पॉइंट्स के ज़रिए जानने की कोशिश करते हैं... 

देखिए कई सोर्सेस से ये पता चला है कि चक दे इंडिया मूवी में कोच कबीर खान का किरदार असल में मीर राजन नेगी की ज़िंदगी पर ही बेस्ड है, जो 1982 में हुए एशियन गेम्स फाइनल मैं भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर थे, ये मैच पाकिस्तान से था जिसमे उन्हें इंसल्ट सहनी पड़ी थी... ये मैच इंडियन टीम 1–7 से पाकिस्तान के हाथों हार गई थी... जिसका गुस्सा मीर राजन नेगी पर ही निकला था... 

बहरहाल, फिल्म की आज भी ख़ूब चर्चा होती है लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस फिल्म का मेन एजेंडा क्या था? हकीकत में तो ये फिल्म कूट-कूटकर एजेंडावाद और तुष्टीकरण यानी appeasement से भरी हुई थी, जिसका एक ही मकसद था– सनातन संस्कृति को नीचा दिखाना और मुसलमानों को victim के तौर पर दिखाना...

चक दे इंडिया फिल्म के Screenplay में जो प्रोपेगैंडा था, वो इतनी सफाई से लिखा गया था कि लोग देशभक्ति की भावना में confused हो गए थे... वास्तव में जिस तरह से कबीर खान के किरदार को सिर्फ ‘मुसलमान’ होने के लिए टीम से निकाल दिया गया, वो एक तरह से सनातन संस्कृति को नीचा दिखाने की ही कोशिश थी, जो कि कामयाब भी हुई...

इस फिल्म के ज़रिए फिल्ममेकर ये दिखाना चाहते थे कि मुस्लिम कितने देशभक्त हैं, जिन्हें अक्सर सताया जाता है... ऐसा करके न केवल फिल्ममेकरों ने अपना personal एजेंडा साधने की कोशिश की बल्कि real facts के साथ भी खिलवाड़ किया

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