Pind Daan Kya Hota Hai : पितृ पक्ष में कब, क्या और कैसे करना चाहिए, जानें सबकुछ
Pitru Paksha 2024 Sart Date
Pind Daan Kaise Kare
Pind Daan Kya Hota Hai : आप सभी ने पितृपक्ष का नाम तो सुना ही होगा, और अगर इसके बारे में आपको थोड़ी सी भी जानकारी होगी तो आपको पता होगा की, पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं. लेकिन अभी भी कई सारे लोग हैं, जिन्हे इसका सही मतलब नहीं पता, तो आज हम इसपर डिटेल से बात करने वाले हैं। आपको जानकारी न हो तो बता दें की सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाता है। और पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान क्या क्या करना चाहिए?
वहीँ मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में घर के पूर्वज पितृ लोग से धरती लोक पर आते हैं। और इस दौरान श्राद्ध और धार्मिक अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सभी सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। अब वैसे तो 17 सितंबर यानि आज से पूर्णिमा श्राद्ध है, लेकिन 18 सितंबर यानि प्रतिपदा श्राद्ध से ही पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाएगी और 2 अक्टूबर को इसका समापन होगा। तो आज की इस वीडियो में हम श्राद्ध कर्म की विधि और उत्तम समय के बारे में बात करेंगे. अपने भी कभी न कभी तो अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया ही होगा। लेकिन अगर नहीं किया है तो आपको बता दें की पितृ पक्ष में पितरों की श्राद्ध तिथि के अनुसार ही पितरों की आत्मशांति के लिए श्राद्ध आदि करना चाहिए।
क्या है पितृ विसर्जन की विधि?
लेकिन अगर आपको पितरों की पुण्यतिथि की जानकारी नहीं है, तो पितृ विसर्जनी अमावस्या को श्राद्ध का आयोजन किया जा सकता है। और आपको बता दें की इस बार पितृ विसर्जनी अमावस्या 2 अक्टूबर को है. तो सबसे पहले हम पितृ विसर्जन विधि पर बात करेंगे। जैसे की जिस तिथि में आपको पितरों का श्राद्ध करना हो, उस दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ़ कपड़े पहने। साथ ही पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर और गंगाजल डालकर पवित्र करें। इसके बाद अपने पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। और श्राद्ध भोज के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण दे दें। ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा आदि कराएं।
पितृ पक्ष में किस किसको लगाएं भोग?
इसके साथ ही आप अपनी श्रद्धानुसार पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और बीर अर्पित कर सकते हैं. साथ ही ब्राह्मणों को सम्मानपूर्वक भोजन कराकर अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा भी दें। इसके बाद उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें. आपको बता दें की श्राद्ध में पितरों के अलावा देव, गाय, श्वान, कौए और चींटी को भोजन खिलाने की भी परंपरा है। वहीँ श्राद्ध का उत्तम समय, कुतुप काल, रोहिण काल और अपराह्न काल में पितृ कर्म के कार्य काफी शुभ माने जाते हैं। इसी समय ही पितृगणों को निमित्त धूप डालकर तर्पण, ब्राह्मण को भोजन कराना और दान-पुण्य के कार्य करने चाहिए। और आपके श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहा जाता है।
बता दें की शास्त्रों में तीन ऋण बताए गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण। और ये तीनो ऋण बहुत महत्व रखते हैं। मान्यता है की मनुष्य लोक में पिता अपने मृत्यु के समय अपना सब कुछ पुत्र या पुत्री को सौंप देते हैं, इसलिए संतान पर पितृ ऋण होता है। और इसीलिए कहा जाता है की पितृपक्ष में अपने पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहिए। पितृपक्ष में जल और तिल से तर्पण करना चाहिए। क्यूंकि इस दौरान किए गए श्राद्ध कर्म और दान-तर्पण से पितरो को तृप्ति मिल जाती है। जिससे आपके पितर खुश होकर अपने वंशजों को सुखी और संपन्न जीवन का आशीर्वाद देते है। और पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने की परंपरा एक संस्कृति विरासत है। इससे पितरों तक सिर्फ दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते हैं।
कब तक कर सकते हैं पिंडदान?
तो इस पितृपक्ष अगर आप भी अपने पितरों के लिए दान, तर्पण या पिंडदान करने वाले हैं. तो आप आज से 2 अक्टूबर तक कर सकते हैं, और अगर आप ये सब करने में असमर्थ हैं तो आप इस दौरान ब्रामणों को कुछ चीज़ों का दान भी कर सकते हैं. जिसमे आप ब्राह्मण को भोजन करा कर वस्त्र, धातु, जूता, चप्पल, छतरी, गौ आदि का दान भी कर सकते हैं, इससे भी आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी। तो उम्मीद है की ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और अगर आप पहली बार पिंडदान करने वाले हैं तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।