लंपी वायरस से गुजरात में 1,240 मवेशियों की मौत

अहमदाबाद, 31 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा है कि राज्य में लंपी स्किन डिजीज के कारण अब तक 1,240 मवेशियों की मौत हो चुकी है।
लंपी वायरस से गुजरात में 1,240 मवेशियों की मौत
लंपी वायरस से गुजरात में 1,240 मवेशियों की मौत अहमदाबाद, 31 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा है कि राज्य में लंपी स्किन डिजीज के कारण अब तक 1,240 मवेशियों की मौत हो चुकी है।

बता दें, लंपी स्किन डिजीज एक त्वचा संबंधित बीमारी है। यह तेजी से मवेशियों में फैल रही है। इसे गांठदार त्वचा रोग वायरस (एलएसडीवी) कहते हैं। दुनिया में मंकीपॉक्स के बाद अब यह दुर्लभ संक्रमण वैज्ञानिकों की चिता का कारण बना हुआ है। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को टीका लगाया जा रहा है।

हालांकि, विपक्ष ने आरोप लगाया कि मरने वाले मवेशियों की संख्या 25 से 30 गुना अधिक है। विपक्ष का दावा है कि राज्य सरकार मरने वालों की संख्या छिपा रही है।

जामनगर नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंत्री ने शनिवार शाम को दिए अपने बयान में कहा कि लंपी वायरस से संक्रमित लगभग 50,000 मवेशियों का इलाज किया जा रहा है। वहीं इस संक्रमण से 1240 की मौत हो गई और 15 लाख का टीकाकरण किया जा रहा है।

कच्छ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष यजुवेंद्र सिंह जडेजा ने आरोप लगाया कि सरकारी आंकड़े सच्चाई से कोसों दूर हैं। केवल कच्छ में ही करीब 25,000-3000 मवेशियों की मौत हो गई है।

जडेजा ने कहा कि मृत मवेशियों को शहर या गांवों के बाहरी इलाके में फेंक दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, अगर आप शहर का दौरा करेंगे, तो आप सड़कों पर मवेशियों के शवों को देख सकते हैं। बॉडी को इकट्ठा करने और उन्हें नष्ट करने के लिए नगर पालिका के पास कोई सिस्टम नहीं है।

भुज नगर पालिका अध्यक्ष घनश्याम ठक्कर ने कहा, शुरूआत में, हम यह पता नहीं लगा सके कि यह बीमारी कितनी तेजी से फैल रही है या इससे कितने मवेशियों की जान चली गई है, लेकिन बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत की खबरें आ रही हैं। मृत मवेशियों के लिए नगरपालिका ने गहरे गड्ढे खोदे हैं और दो मीट्रिक टन नमक खरीदा है। ताकि उनके शरीर को नष्ट किया जा सके।

जडेजा ने कहा कि कच्छ कांग्रेस कमेटी ने एक सर्वे शुरू कर दिया है और चरवाहों से मृत मवेशियों का विवरण साझा करने के लिए फॉर्म भरने के लिए कह रही है।

--आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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