एनसीएल को यूपी में 1.5 लाख टन कोयले का अवैज्ञानिक भंडारण करने पर लगा 10 करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) को पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने के लिए 10 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है, क्योंकि इसने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में अवैज्ञानिक रूप से लगभग 1.5 लाख टन कोयले का भंडारण किया था।
एनसीएल को यूपी में 1.5 लाख टन कोयले का अवैज्ञानिक भंडारण करने पर लगा 10 करोड़ का जुर्माना
नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) को पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने के लिए 10 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है, क्योंकि इसने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में अवैज्ञानिक रूप से लगभग 1.5 लाख टन कोयले का भंडारण किया था।

एनजीटी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए.के. गोयल, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ एनसीएल पर 35 बीघा क्षेत्र में कोयले की अवैध डंपिंग कर पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कहा गया है कि एनसीएल ने आवासीय क्षेत्र के आसपास कोयले की अवैध डंपिंग की।

एनजीटी ने कहा कि एनसीएल वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने में विफल रही है और कोयले की डंपिंग पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पीठ ने पहले से गठित पैनल की एक रिपोर्ट और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के एक पत्र को ध्यान में रखते हुए फैसला दिया।

पीठ ने यह भी कहा कि राज्य पीसीबी द्वारा निर्धारित 4.43 करोड़ रुपये का मुआवजा अपर्याप्त था।

पीठ ने कहा, पीसीबी ने इन-हाउस फॉर्मूले पर मुआवजा लगाया है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करता है, लेकिन प्रकृति और उल्लंघन की सीमा, बहाली की लागत और उल्लंघनकर्ताओं की वित्तीय क्षमता के बावजूद प्रतिदिन अनुमानित नुकसान पर आगे बढ़ता है।

पीठ ने कहा, इस मामले में जो कोयला भंडारित पाया गया था, वह लगभग तीन लाख टन था, जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत उठा लिया गया है और शेष अभी भी पड़ा हुआ है। 10,000 रुपये प्रति टन की दर से कुल संग्रहीत सामग्री का मूल्य 30,000 करोड़ रुपये है।

एनजीटी ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरे प्रभावों के अलावा, कोयले के ऐसे अवैज्ञानिक भंडारण से होने वाले नुकसान के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण, भूजल और सतही जल प्रदूषण हुआ है।

पीठ ने कहा, इसमें शामिल लेन-देन की बहाली और टर्नओवर की लागत को ध्यान में रखते हुए हम अनुमानित लागत पर 10 करोड़ रुपये का मुआवजा निर्धारित करते हैं, जिसे एनसीएल द्वारा राज्य पीसीबी के साथ पर्यावरण की बहाली के लिए एक कार्य योजना तैयार करके जमा किया जा सकता है। इसमें कोयले का उचित भंडारण/संचालन, धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के उपाय करना और समयबद्ध उपचार शामिल हो सकते हैं।

पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य पीसीबी, सोनभद्र के जिलाधिकारी और वन विभाग की संयुक्त समिति को योजना तैयार करने के लिए दो महीने का समय दिया।

इसने राज्य पीसीबी को दो महीने में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, समिति यह भी सुनिश्चित कर सकती है कि समग्र व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) के संदर्भ में वायु सूचकांक को नीचे लाने के लिए कोयले के स्टॉकिंग और हैंडलिंग के प्रदूषण को नियंत्रित करने से संबंधित कार्रवाई बिंदु किए जाएं। यदि बहाली के लिए अधिक राशि की जरूरत होती है, तो एनसीएल उसी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को करनी तय की है।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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