ऑफिस रियल इस्टेट में को-वर्किंग स्थलों की साझेदारी हुई 27 प्रतिशत, बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा मांग

रियल इस्टेट कंपनी एनारॉक ग्रुप के हालिया आंकड़ों के अनुसार, बड़ी कंपनियां और बिजनेस स्टार्टअप भी अब को-वर्किं ग स्थलों से कर्मचारियों से काम करा रहे हैं।
इसमें बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर 66 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहे जहां 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही में 14.3 लाख वर्ग फीट को-वर्किं ग जगह का इस्तेमाल हो रहा था।
पुणे और चेन्नई मिलकर 5.2 लाख वर्ग फीट को-वर्किं ग जगह का इस्तेमाल कर रहे थे।
इस दौरान को-वर्किं ग जगह की मांग में वृद्धि के लिहाज से शीर्ष सात शहरों की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टार्टअप तथा दूसरे कारोबारी प्रतिष्ठानों के अलावा कई आईटी और आईटीईएस कंपनियां भी नियमित कार्यालय की जगह को-वर्किं ग जगह किराए पर लेना पसंद कर रही हैं ताकि कर्मचारियों को आसानी हो।
एनरॉक ग्रुप की कंपनी माईएचक्यू के वरिष्ठ निदेशक उत्कर्ष क्वोत्रा ने कहा, कोविड-19 ने जब कार्यस्थलों के समीकरण को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था उस समय को-वर्किं ग स्थलों की मांग में काफी कमी आई थी। अब हम इस नकारात्मक ट्रेंड में निर्णायक बदलाव देख रहे हैं। आईटी और आईटीईएस कंपनियों के रोजगार में कमी के कारण को-वर्किं ग स्थलों की मांग बढ़ी है।
क्वोत्रा ने कहा कि इस क्षेत्र की कंपनियों में ग्रेड-ए कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या कम होने से बेंगलुरु, चेन्नई और पुणे जैसे शहरों में को-वर्किं ग स्थलों की मांग तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा, यही स्थिति दिल्ली-एनसीआर में है जहां कमर्शियल जगहों की कमी के कारण गुड़गांव और नोएडा जैसी जगहों पर को-वर्किं ग स्थल बन गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कंपनियां अब भी हाइब्रिड कार्य संस्कृति का पालन कर रही हैं। इस कारण छोटे सेटेलाइट कार्यालय या रिमोट टीमें बन गई हैं जो आसपास के को-वर्किं ग स्थलों का इस्तेमाल करती हैं।
--आईएएनएस
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