क्लबफुट से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए केजीएमयू में नई लैब

केजीएमयू के प्रवक्ता ने कहा, प्रयोगशाला आथोर्पेडिक सर्जनों और सहायक कर्मचारियों को पोंसेटी (गैर-सर्जिकल) विधि पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेगी, जो एक रूढ़िवादी और जोड़ तोड़ विधि है, इसका उपयोग दुनिया भर में क्लबफुट को ठीक करने के लिए किया जाता है। प्रयोगशाला संवर्धित वास्तविकता (एआर) और आभासी पर आधारित तकनीक से लैस होगी।
क्लबफुट एक ऐसी स्थिति है जहां बच्चे का पैर आकार या स्थिति से मुड़ जाता है क्योंकि मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने वाले ऊतक सामान्य से छोटे होते हैं।
एचओडी, पीडियाट्रिक आथोर्पेडिक्स, केजीएमयू प्रो. विकास वर्मा ने कहा, हाल ही में केजीएमयू और क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट (सीआईआईटी) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और दुनिया में पहली लैब हमारे विभाग में अक्टूबर नवंबर तक स्थापित हो जाएगी।
उन्होंने कहा, क्लबफुट एक जन्मजात विकार है जो प्रत्येक एक हजार जन्मों में से 1 में होता है। इसका पूरा इलाज प्लास्टर कास्ट और सर्जरी के माध्यम से उपलब्ध है।
--आईएएनएस
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