्रकम वसा वाले आहार बढ़ा सकते हैं जीवन, लेकिन कम काबोर्हाइड्रेट से है मौत का खतरा : अध्ययन

बीजिंग, 3 मई (आईएएनएस)। कम काबोर्हाइड्रेट वाला आहार खाने से समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है, जबकि कम वसा (फैट) वाले खाद्य पदार्थ जीवन को लम्बा खींच सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।
्रकम वसा वाले आहार बढ़ा सकते हैं जीवन, लेकिन कम काबोर्हाइड्रेट से है मौत का खतरा : अध्ययन
बीजिंग, 3 मई (आईएएनएस)। कम काबोर्हाइड्रेट वाला आहार खाने से समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है, जबकि कम वसा (फैट) वाले खाद्य पदार्थ जीवन को लम्बा खींच सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।

क्लीनिकल ट्रायल से पता चलता है कि कम काबोर्हाइड्रेट वाला और कम वसा वाला आहार वजन घटाने और हृदय संबंधी लाभों के लिए कारगर होता है।

कम वसा वाले आहार में साबुत अनाज, मांस, कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स, सब्जियां, दाल और फल शामिल हैं।

दूसरी ओर, कम काबोर्हाइड्रेट वाले आहार, औसत आहार की तुलना में काबोर्हाइड्रेट के सेवन को कम करते हैं।

ऐसे खाद्य पदार्थ जिसमें काफी ज्यादा काबोर्हाइड्रेट हैं, काफी कम हैं। इसके बदले उच्च प्रतिशत वाले वसा और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के साथ-साथ कम काबोर्हाइड्रेट वाले आहार का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस अध्ययन में 50-71 वर्ष की आयु के 371,159 प्रतिभागियों को शामिल किया गया और इसे चीन के पेकिंग, अमेरिका के हार्वर्ड और तुलाने के विश्वविद्यालयों में किया गया।

प्रतिभागियों का 23.5 वर्षों तक फॉलो किया गया और अध्ययन के लिए 165,698 मौतें रिकॉर्ड की गई।

जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि कम वसा वाले आहार को अपनाने से हर साल मृत्यु का जोखिम 34 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

इस बीच, कम काबोर्हाइड्रेट वाले आहार से मृत्यु दर में 38 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है। कीटो-जैसी डाइट लेने वाले लोगों की मरने की संभावना उनके उच्च काबोर्हाइड्रेट आहार लेने वालों की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में लिखा, कम काबोर्हाइड्रेट आहार और अस्वास्थ्यकर कम काबोर्हाइड्रेट आहार वालों में उच्च मृत्यु दर देखी गई, लेकिन स्वस्थ कम काबोर्हाइड्रेट वाले आहार के लिए जोखिम कम था।

उन्होंने कहा, हमारे नतीजे कम वसा वाले आहार को बनाए रखने के महत्व का समर्थन करते हैं।

इसके अलावा, एक स्वस्थ कम वसा वाले आहार का पालन करने से कुल मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी आई, कार्डियोवैस्कुलर मृत्यु दर में 16 प्रतिशत और कैंसर मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी आई।

--आईएएनएस

एसकेपी

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