गेहूं खाने के नुकसान जानकर, फिर से अपना लेंगे मोटा अनाज 

गेहूं

 Fit रहना है तो गेहूं छोड़िए मोटा अनाज खाइए जानिए गेहूं की रोटी खाने के नुकसान होते हैं ?

गेहूं की रोटी क्यों है स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक 
Fitness mantra 
पहले के लोग फिट क्यों होते थे उनकी लाइफस्टाइल क्या थी और खाने में क्या खाते थे अगर इस पर विचार करें तो पता यह चलता है कि पहले के लोग मोटा अनाज खाना ज्यादा पसनद करते थे । आज गेहूं के रोटी खाने का ज्यादा प्रचलन है और यही कारण है कि गेहूं का रोटी खाने से फैट बढ़ रहा है और लोगों में डायबिटीज की समस्या होती जा रही है ।


गेहूं की रोटी खाने से क्या नुकसान होता है ?


गेंहू चूंकि जल्दी पचता नही है इसलिए यह शरीर मे फैट बढ़ाता है और इसके कारण लोग diabetic हो जाते है और यहीं से शुरुआत हो जाती है बीमारियों की जैसे ही कोई डायबिटिक होता है कई सारी बीमारियां उसके शरीर में हो जाती है और इसका सबसे बड़ा कारण यह होता है कि  immunity पर बहुत बड़ा फर्क पड़ता है.

अमेरिकी राइटर ने गेंहू पर एक बुक लिखी जो काफी फेमस रही ।
India में पहले मोटा अनाज खाया जाता था ज्वार बाजरा इसमे मुख्य होते थे ।
खास करके मोटा अनाज निम्न वर्ग के लोगों के खाने की पसंद हुआ करता था जो धीरे-धीरे मीडियम क्लास और उसके बाद जब लोग बीमार पड़ने लगी उच्च वर्ग में मोटे अनाज को अपना लिया क्योंकि वह तब तक डायबिटिक हो चुके होते हैं और डायबिटीज पेशेंट के लिए मोटा अनाज इतना अच्छा माना जाता किस लिए पहुंची आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है जो भारत में निम्न वर्ग में बहुत पहले ही अपना लिया था उसको ऑफ अमेरिका जैसे विकसित देशों में अपनाया जा रहा है और लोग  गेहूं को छोड़ने की मुहिम अपना रहा है.
अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस...उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में जिसका नाम था "Wheatbelly गेंहू की तोंद"...यह पुस्तक अब फूड हेबिट पर लिखी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक बन गई है...पूरे अमेरिका में इन दिनों गेंहू को त्यागने का अभियान चल रहा है...कल यह अभियान यूरोप होते हुये भारत भी आएगा...यह पुस्तक ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं और कोई फ़्री में पढ़ना चाहे तो भी मिल सकती है


गेहूं की रोटी खाने के नुकसान होते हैं ?


अमेरिकी लेखक डॉ डेविस का कहना है कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को अगर मोटापे, डायबिटिज और हृदय रोगों से स्थाई मुक्ति चाहिए तो उन्हें पुराने भारतीयों की तरह मक्का, बाजरा, जौ, चना, ज्वार, कोदरा, रागी, सावां, कांगनी ही खाना चाहिये गेंहू नहीं.
क्या अजीब विडंबना है कि लोग गेहूं खाने के नुकसान समझ रहे हैं और भारत मे पुरानी परंपरा मोटे अनाज को छोड़कर सारे लोग गेहूं पर ही निर्भर हो गए हैं ।

जबकि यहां भारत का हाल यह है कि 1980 के बाद से लगातार सुबह शाम गेंहू खा खाकर हम महज 40 वर्षों में मोटापे और डायबिटिज के मामले में दुनिया की राजधानी बन चुके हैं...

जौ पुराने संस्कार से जुड़ा है जौ की धार्मिक मान्यता है
सनातन संस्कार में पूजा में जौ और अक्षत चढ़ाए जाने की परंपरा रही है ।
लोगों को इन अनाज को धार्मिक मान्यताओं के साथ जोड़ा गया था और यही कारण था की अक्षत उसमें चावल किया जाता और जौ यह भारत में उगाया जाता था और उसको लोग खाते भी जो धीरे-धीरे भारत में बोने की परंपरा बहुत ही कम हो गई और जो भी जो यहां बोया जा रहा है उसकी विदेशों में मांग ज्यादा बढ़ गई और भारत के लोगों ने उसको खाना कम कर दिया।

गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है. यह मध्य एशिया और अमेरिका की फसल मानी जाती है और आक्रांताओ के भारत आने के साथ यह अनाज भारत आया था...उससे पहले भारत में जौ की रोटी बहुत लोकप्रिय थी और मौसम अनुसार मक्का, बाजरा, ज्वार आदि...भारतीयों के मांगलिक कार्यों में भी  जौ अथवा चावल (अक्षत) ही चढाए जाते रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में भी इन्हीं दोनों अनाजों का अधिकतम जगहों पर उल्लेख है।


गेहूं को कैसे खाना चाहिए?


गेहूं की रोटी अगर खानी ही है तो जैसे पहले होता था लोग भी हूं के छिलके सहित जो आटा होता है जीने का उसको प्रयोग किया जाता था जिससे त्रुटि में फाइबर की मात्रा अधिक होती थी और फाइबर जिसे जो कराया जाता है गेहूं के चोकर के साथ में रोटी खाने से या आसानी से डाइजेस्ट हो जाता था और उससे कई सारी बीमारियां नहीं होती लेकिन अब गेहूं को महीन के सोया जाता है और जो पैकेट में गेहूं आता था उसने किसी गेहूं के छिलके यानी कि गेहूं की भूसी नहीं रहती है और वह आटा काफी लचीला हो जाता है लेकिन देखने में तो अच्छा लगता है लेकिन डाइजेस्ट होने में यह बहुत बड़ी समस्या करता है और तू किया जाए जस्ट नहीं होता इसलिए फैट बढ़ाता चला जाता है और इसके कारण आदमी बीमार होता चला जाता है इसलिए गेहूं को अगर खाना ही है तो मैं हूं की रोटी गेहूं का चोकर के साथ में खाना होगा इससे आप बहुत ही कम नुकसान करेगा और कोशिश करनी चाहिए कि गेहूं की रोटी मोटी सी की होनी चाहिए श्रेया काफी देर तक टिके रहने पर और तू कर के साथ होने पर पेट में जाने पर आसानी से पच जाता है और कई सारी बीमारियों के होने से बच जाते हैं।


गेहूं weight gain करता है 


 भारतीयों को अपनी रसोई में 80-90 प्रतिशत अनाज जौ, ज्वार, बाजरे आदि को रखना चाहिये और 10-20 प्रतिशत गेंहू को... हाल ही कोरोना ने जिन एक लाख लोगों को भारत में लीला है उनमें से डायबिटिज वाले लोगों का प्रतिशत 70 के करीब है।
फिटनेस के लिए या तो गेहूं को छोड़ना पड़ेगा या खाने में सुधार करना पड़ेगा ।

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