How to reduce fear before surgery सर्जरी से पहले कर लें खुद को तैयार, नहीं होगी कोई परेशानी

fear of surgery

 कई बार बड़े फिजिकल डिफेक्ट, एक्सीडेंट या डिजीज की वजह से सर्जरी करवाना जरूरी हो जाता है। ऐसे में अगर इसकी तैयारी पहले से की जाए तो पेशेंट आसानी से रिकवर कर लेता है और पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लिकेशंस होने की संभावना भी कम रहती है। इस बारे में हम दे रहे हैं कुछ यूजफुल सजेशंस।


किसी भी प्रकार की सर्जरी शरीर के लिए सेंसिटिव मैटर है। इसमें शारीरिक पीड़ा ही नहीं मानसिक तनाव भी काफी होता है। अधिकांश लोगों को जीवन में कभी न कभी सर्जरी करवानी पड़ती है। वैसे सर्जरी यानी ऑपरेशन के नाम से ही ज्यादातर लोगों के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है। कुछ खास मामलों में सर्जरी बेहद जरूरी होती है और उसे टालना संभव नहीं हो पाता। जैसे कोई दुर्घटना, एपेंडिक्स का दर्द, किसी कारणवश हड्डी टूटना, सीजेरियन सेक्शन या पेट में कोई आपातकालीन गड़बड़ी उत्पन्न होना। सर्जरी छोटी हो या बड़ी किसी में भी कॉम्प्लिकेशन आ सकती है। कई बार मरीज को शॉक लगने या मेंटल प्रेशर के कारण पल्स, हार्टबीट या बीपी आदि बढ़ सकता है, तो कई बार इंफेक्शन का भी खतरा होता है।

खुद को करें प्रिपेयर 
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर माइकल इंग्लिस्बे (एमडी) ने एक रिसर्च में पाया है कि मरीज और उसके परिजन अच्छा सर्जन और अच्छा हॉस्पिटल चुनने के अलावा कुछ मानसिक शारीरिक तैयारियां भी कर लें तो कॉम्प्लिकेशंस, पीड़ा और मेंटल ट्रॉमा से दूर रहा जा सकता है। डॉक्टर माइकल का कहना है कि जैसे आप किसी दौड़ में बिना तैयारी के शामिल नहीं होते हैं, ठीक उसी प्रकार सर्जरी के लिए भी आपको बिना तैयारी के नहीं जाना चाहिए। यूनिवर्सिटी में प्रीऑपरेटिव प्रोग्राम का संचालन करने वाले इस चिकित्सक का कहना है कि एक ऑपरेशन, शरीर को उतना ही थकाने वाला हो सकता है जितना 5 किलोमीटर दौड़ लगाना। 

माइकल के प्रीऑपरेटिव प्रोग्राम के तहत मरीज को रोजाना 1 घंटे की वॉकिंग के लिए कहा जाता है (जो सक्षम हों) इससे उसका हॉस्पिटल स्टे 31 फीसदी तक कम हो सकता है। ऐसा डॉक्टर माइकल का दावा है। इसके अलावा भी मरीज को कई थेरेपीज सिखाई जाती हैं। 

यूजफुल टिप्स
मरीज को सर्जरी से पहले इन बातों पर जरूर गौर करना चाहिए।
-अगर आप यह सुनिश्चित कर चुके हैं कि सर्जरी करवानी जरूरी है तो इसे एक या दो महीने से ज्यादा अवधि तक न टालें। ज्यादा देर करना ठीक नहीं।
-अपनी सर्जरी के प्रोसीजर को अच्छी तरह जान लें और सर्जरी के लिए पूरी तरह मेंटली प्रिपेयर हो जाएं। 
-दर्द, तनाव और अवसाद से राहत पाने के लिए आपको प्रेयर और मेडिटेशन जैसी रिलेक्सेशन टेक्निक्स सीखनी चाहिए। 
-रोजाना अपने नाक से गहरी सांस लीजिए और उसे कुछ देर के लिए रोकिए फिर धीरे-धीरे सांस छोड़िए। ऐसा दिन में कई बार कीजिए। इससे आप की श्वसन प्रणाली दुरुस्त रहेगी और चित्त भी शांत रहेगा। 
-हर रोज टहलने की आदत डालिए। 
-चिकित्सक की सलाह के मुताबिक नियमित पौष्टिक भोजन लें और पर्याप्त पानी पीते रहें। 
-वेटिंग पीरियड का प्रयोग आप खुद को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। सर्जरी के लिए इंतजार की अवधि में अपना ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर आदि कंट्रोल करें, न्यूट्रीशन इंप्रूव करें, मसल्स, हार्ट और लंग्स की बेहतरी वाली एक्सरसाइज करें। इनसे ऑपरेशन के बाद आपकी हीलिंग जल्दी और अच्छी होगी। 
-अगर आप स्मोकर हैं, तो ऑपरेशन से कम से कम पंद्रह दिन पहले स्मोकिंग छोड़ दें। धूम्रपान करने वालों को एनीस्थिसिया से रिकवर होने में ज्यादा समय लगता है, घाव धीरे भरते हैं और घाव का निशान बनने की संभावना रहती है। इसी प्रकार नियमित मद्यपान करने वालों पर भी एनीस्थिसिया का असर होने में दिक्कत आती है और उन्हें नींद, बेहोशी और पेनकिलर दवाएं ज्यादा मात्रा में देने की जरूरत पड़ती है।

मेडिसिन की दें जानकारी 
ऑपरेशन से पहले सर्जन और एनेस्थिटिस्ट को उन दवाओं की जानकारी दें, जिनसे आपको एलर्जी है। डायबिटीज, हायपरटेंशन, अस्थमा और हार्ट डिजीज की जो दवाएं आप नियमित लेते हैं, उनकी सूची भी चिकित्सक को सौंप दें। हर्बल, आयुर्वेदिक होमियोपैथिक दवाएं लेते हों तो ऑपरेशन से पांच दिन पहले उन्हें बंद कर दें। ये ब्लड क्लॉटिंग या नींद की दवाओं के असर को कम कर सकती हैं।

सर्जरी के अलटरनेटिव्स को जानें   
कई मामलों में सर्जरी को रोगी और सर्जन की सुविधा के मुताबिक किसी आगे की तारीख तक टाला जा सकता है। इस समय का उपयोग रोगी दूसरे डॉक्टरों से मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए भी कर सकता है कि वाकई सर्जरी ही जरूरी है या दवाओं से भी इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। आजकल कूल्हों और घुटनों का रिप्लेसमेंट, पीठ की गंभीर समस्या के लिए स्पाइनल सर्जरी और हिस्टरेक्टोमी आम बात हो गई है। लेकिन ऑपरेशन से पहले रोगी और उसके परिजनों को दूसरे चिकित्सकों से मिलकर यह जरूर जानना चाहिए कि वजन घटाकर, फिजियोथेरेपी से, मेडिकेशन से या हारमोनल ट्रीटमेंट से रोग का इलाज संभव है या नहीं। हार्ट आट्रीज के ब्लॉकेज खोलने के लिए बाईपास सर्जरी आम होती जा रही है लेकिन आज इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ऐसे ब्लॉकेज को आसानी से क्लीयर करके स्टेंट लगा देते हैं।

मॉडर्न टेक्नीक है हेल्पफुल
ऑपरेशन का विकल्प नहीं हो तो डरने की कोई बात नहीं, पहले हर सर्जरी का मतलब होता था अस्पताल में मरीज का लंबी अवधि तक रहना। मरीज को तेज दर्द सहन करना पड़ता था और कई पोस्ट-ऑपरेटिव कॉम्प्लिकेशंस से त्रस्त होना पड़ता था, जिसमें कई बार रोगी की मृत्यु भी हो जाती थी। लेकिन अब ह्यमिनीमली इनवेसिवह्ण तकनीक से सर्जरी बेहद आसानी से संपन्न हो जाती है और मरीज तेजी से स्वस्थ भी हो जाता है। जैसे लैप्रोस्कोपी एक बेहद आसान विधि है, जिसमें दो छोटे छिद्र करके मरीज का ऑपरेशन ईजिली कर दिया जाता है। लेजर कटिंग नाइव्स और रोबोटिक एक्सटेंशन ने भी सर्जन का काम काफी सुगम कर दिया है।

Share this story