Psychosomatic Disorder In Hindi : मनोदैहिक विकार क्या है, कारण, प्रकार और उपचार
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साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर क्या होता है?
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर एक मनोरोग है। इसे मनो-शारीरिक विकार कहते हैं। मनो-शारीरिक विकार एक ऐसी स्थिति है जिसमें शारीरिक परेशानियों के पीछे मनोवैज्ञानिक कारक होते हैं। यह समस्या किसी को भी हो सकती है। उम्र से कोई लेना-देना नहीं। हीं ऐसा प्राय: तब होता है, जब जीवनशैली पर मानसिक तनाव हावी होता जा रहा हो।
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर क्यों होता है?
मानसिक तनाव: लंबे समय तक चलने वाले मानसिक तनाव से पनपती हैं कई तरह की शारीरिक समस्याएं
तनाव प्रबंधन न कर पाना
रिश्तों में बढ़ता तनाव और दूरी
घर-परिवार में बढ़ता वाद-विवाद
मन में चल रहा विचारों का तूफान
बढ़ता स्क्रीन टाइम
अव्यवस्थित जीवन शैली, आपाधापी
जीवन की गुणवत्ता होती प्रभावित
मानसिक स्वास्थ्य अगर ठीक नहीं हो, तो जाहिर सी बात है जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। हम किन बातों को अपने दिमाग में रखते हैं और किन्हें नजरअंदाज करते हैं, इस पर निर्भर करता है कि आप कैसा जीवन जी रहे हैं।
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर का कारक क्या है?
गौरतलब है कि चिंता, अवसाद, आघात या व्यक्तित्व विकार मनो-शारीरिक विकार का कारण बन सकते हैं।
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होना, जैसे सिरदर्द, कमरदर्द और छाती में दर्द आदि।
पेट से संबंधित समस्याएं: पेट दर्द, अपच, खट्टी डकार, मतली, उल्टी, कब्ज और दस्त मनो-शारीरिक विकार के अन्य आम लक्षण हैं।
सांस लेने में दिक्कत महसूस करना।
कभी चक्कर आना, थकान महसूस करना और शारीरिक कमजोरी इसके लक्षण हैं। साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के कारण हाइपरटेंशन भी होता है।
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर से कैसे करें बचाव?
तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें: तनाव प्रबंधन तकनीकों में माइंडफुलनेस, ध्यान, योग और विश्राम शामिल हैं।
अपनी भावनाओं को व्यक्त करें : अपने दोस्तों, स्तों परिवार या मनोचिकित्सक के सामने अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करें।
स्वस्थ जीवनशैली: भोजन ऐसा हो, जो सेहत के लिए अच्छा हो। नियमित रूप से व्यायाम करें। पर्याप्त और सही समय पर नींदनीं लें।
सही इलाज: इस डिसऑर्डर के लिए सही इलाज लिया जाना जरूरी है। मनोचिकित्सा में रोगी को अपने तनाव प्रबंधन कौशल में सुधार करने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सीखने में मदद की जाती है।
नोट: साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के मरीज अपने डॉक्टर पर विश्वास करें। बार-बार डॉक्टर न बदलें। जो जांचें बताई जाएं, वे ही कराएं। मनोचिकित्सक जो दवा दें, नियमित लें।