Shavasana Procedure Benefits In Hindi: शवासन के फायदे और सावधानियां, शवासन कैसे करें जानिए 

शवासन के क्या फायदे हैं?
Shavasana Procedure Benefits In Hindi
शवासन की सावधानियां क्या हैं?

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हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली।
हृदय रोगियों के लिए शवासन पहले एक नट विद्या मानी जाती थी। कुछ समय बाद दिव्य योगियों ने हृदय गति को स्वेच्छा से कम करके दिखाया। तब पश्चिम के डॉक्टरों की इसके बारे में जिज्ञासा हुई। 1935 में फ्रांस की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ब्रोसी ने हृदय पर योग के प्रभाव का अध्ययन किया। यह पहला प्रयोग था जिसमें यह पाया गया कि योग के जरिए कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम को नियंत्रित किया जा सकता है।

शवासन का अर्थ क्या है?

"शवा" शव को संदर्भित करता है और "आसन" का अर्थ होता है मुद्रा। इसलिए इसे शव मुद्रा के रूप में जाना जाता है।

शवासन करने से क्या होता है?

दूसरी रिसर्च जो 1960 में एक साइंस सर्कुलेशन में छपी थी। उसमें यह पाया गया कि योग का हृदय गति पर अच्छा असर पड़ता है। 1969 में डॉ. के. के. दाते ने दावा किया कि शवासन से उच्च रक्तचाप को बिना दवाओं के कम किया जा सकता है। इस तथ्य को आगे डॉ. एच. क्रिस्टीन एवं डॉ. मार्क डेम्बर्ट ने भी अपनी रिसर्च में सच पाया। हृदय रोगियों के लिए योग में जो आसन मेडिकल साइंस की मान्यता प्राप्त हैं उनमें से एक है शवासन। यह आसन बहुत सहज, सरल और लाभकारी है। 

शवासन के लाभ क्या हैं?

शुरुआत करने के लिए यह आसान बहुत उपयुक्त है। इसमें शारीरिक प्रयास नहीं के बराबर हैं। दूसरा यह हृदय, फेफड़ों व मांसपेशियों पर कोई तनाव नहीं डालता। कमजोर हृदय रोगी या डेमेज कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम वाले भी बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं। यह आसन गंभीर हृदय रोगियों में आशा और विश्वास का संचार करता है। 

शवासन की सावधानियां क्या हैं?

अन्य रिसर्च के अनुसार यह आसन बुजुर्ग हृदय रोगियों पर प्रभावी है। शवासन एक आसन ही नहीं, हीं बल्कि माइंड-बॉडी अभ्यास है। अगर उसको ढंग से सिखाएं तो अहसास कराता है कि कैसे मानसिक तनाव को दूर किया जा सकता है। हृदय रोगियों के लिए शवासन का समय रोगी की अवस्था के अनुसार तय किया जाता है।

शवासन के क्या फायदे हैं? 

1. इससे शरीर और मानसिक तनाव में कमी आती है।
2. यह उच्च रक्तचाप को कम करता है और हृदय को आराम देता है।
3. यह आसन शांतिदायक और भय को दूर करने वाला होता है।
4. यह हृदय को हील करने में सहायक होता है।
5. हृदय रोगियों के लिए इसमें विशेष इमेजरी भी कराई जाती है हृदय और रक्त वाहिनियों पर, जो हृदय को स्वस्थ करती है।

शवासन का अभ्यास कैसे करें?

  • इस आसन में पीठ के बल सीधा लेटना होता है।
  • सीधे लेटकर अपने कंधों, धों पीठ और पैरों को ढीला छोड़ें।
  • आंखें बंद कर या उन पर पट्टी लगाकर उन्हें बंद करें। हाथों को साइड में रखें और हथेलियां ऊपर की तरफ खुली रहें।
  • ऐसा करने के बाद सारा ध्यान सांसों पर केन्द्रित कर दिया जाता है। सारा ध्यान सांसों के आवागमन पर केंद्रित होता है।
     

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