लाख दुखो की एक दवा है क्यों न अजमाए अलसी
डेक्स (प्रभाष त्रिपाठी )...
आज कल का खान पान हम सभी जानते है की कितना ख़राब है और अगर हमें इस खान पान बीच हमारी तबीयत खराब हो जाय तो बहुत मुश्किल होती है इस लिए हम आज एक ऐसी दवा के बारे में बताने जा रहे है अलसी एक प्रकार का तिलहन है। इसका बीज सुनहरे रंग का तथा अत्यंत चिकना होता है। फर्नीचर के वार्निश में इसके तेल का आज भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक मत के अनुसार अलसी वातनाशक पित्तनाशक तथा कफ निस्सारक भी होती है मूत्रल प्रभाव एवं व्रणरोपण रक्तशोधक दुग्धवर्द्धक ऋतुस्राव नियामक चर्मविकारनाशक सूजन एवं दरद निवारक जलन मिटाने वाला होता है यकृत आमाशय एवं आँतों की सूजन दूर करता है बवासीर एवं पेट विकार दूर करता है सुजाकनाशक तथा गुरदे की पथरी दूर करता है अलसी में विटामिन बी एवं कैल्शियम मैग्नीशियम काॅपर लोहा जिंक पोटेशियम आदि खनिज लवण होते हैं इसके तेल में 36 से 40 प्रतिशत ओमेगा-3 होता है
जब से परिष्कृत यानी रिफाइन्ड तेल ट्रांसफेट युक्त पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा यानी वनस्पति घी रासायनिक खाद कीटनाशक प्रिजर्वेटिव रंग रसायन आदि का प्रयोग बढ़ा है तभी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ी है हलवाई और भोजनालय भी वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग भरपूर प्रयोग करते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं जिससे वह जहर से भी बदतर हो जाता है शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं पिछले तीन-चार दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-3 वसा अम्ल की मात्रा बहुत ही कम हो गई है