What is Heatstroke: हीट स्ट्रोक क्या है और कैसे खुद को रखें इससे दूर?

What is Heatstroke: हीटस्ट्रोक जीवन की एक घातक स्थिति बन गई है, जो तब होती है जब आपके शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर बढ़ जाता है।
What is Heatstroke

What is Heatstroke: बढ़ती गर्मी धीरे-धीरे आपके स्वास्थ्य के लिए घातक होती जा रही है। गर्मी के मौसम ने बेहद ही खतरनाक बीमारी को न्योता देना शुरू कर दिया है। दरअसल, इन दिनों अगर आप आग उबलती हुई गर्मी में बाहर निकल रहे हैं तो आपको हीटस्ट्रोक का सामना करना पड़ सकता है। हीटस्ट्रोक यानी 'लू लगना', जो बाहर के गर्म हवा और वातावरण के कारण आपको प्रभावित कर सकती है। हीटस्ट्रोक अब जीवन की एक घातक स्थिति बन गई है जो तब होती है जब आपके शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर बढ़ जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं कि हीटस्ट्रोक क्या होता है? और इससे जुड़े लक्षण क्या-क्या हैं? एवं आप इससे कैसे दूर रह सकते हैं?

हीटस्ट्रोक क्या है? (What is Heatstroke in Hindi) 

गर्मी के दिनों में गर्म हवा चलना आम है। दोपहर के समय खासकर 1 बजे से लेकर 3 बजे के बीच की गर्म हवा लू लगने (Lu lagne se kya hota hai) का कारण बन सकती है। हीटस्ट्रोक से आपका शरीर अत्यधिक गर्म हो जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या सिर्फ गर्मी में घर से बाहर निकलने पर हीटस्ट्रोक हो सकता है? तो आपको बता दें कि ऐसा बिलकुल नहीं है। विकिपीडिया के अनुसार, आप हीटस्ट्रोक का शिकार तब होंगे जब आपके शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर होगा। हीटस्ट्रोक को कई अन्य नामों से भी जानते हैं, जैसे इसे सनस्ट्रोक भी कहा जाता है। हीटस्ट्रोक सबसे ज्यादा आपके मस्तिष्क को क्षति पहुँचता है (उदहारण के लिए अधिक गर्मी लगने पर आपके शरीर में पानी की कमी के साथ ही आपको चक्कर आना शुरू हो जाता है)। इसके अलावा सनस्ट्रोक से अंग विफलता या मृत्यु भी हो सकती है ।

हीटस्ट्रोक कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Heatstroke in Hindi)

हीटस्ट्रोक मुख्य रुप से दो प्रकार का होता है:

  • अत्यधिक हीटस्ट्रोक: हीटस्ट्रोक का यह रूप आमतौर पर गर्म, आर्द्र परिस्थितियों में शारीरिक अत्यधिक परिश्रम का परिणाम होता है। यह कुछ ही घंटों में आपके शरीर में फ़ैल हो सकता है।
  • नॉन-एक्सर्शनल हीटस्ट्रोक: इसे क्लासिक हीटस्ट्रोक भी कहा जाता है, यह प्रकार उम्र या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों के कारण हो सकता है। लगातार 10-15 दिन गर्मी या सूरज की धुप में लंबा समय बिताने के बाद यह विकसित होता है।

हीटस्ट्रोक का क्या कारण है? (Causes of Heatstroke in Hindi)

गर्मी के मौसम में आपके शरीर का तापमान आमतौर पर सामान्य से बढ़ जाता है। शरीर को ठंडा नहीं रख पाने की स्थिति में आप हीटस्ट्रोक का शिकार बन सकते हैं। आपका हाइपोथैलेमस (आपके मस्तिष्क का एक हिस्सा जो कई शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है) आपके शरीर के मुख्य तापमान को निर्धारित करता है। यह आमतौर पर आपका तापमान लगभग 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) पर सेट करता है। लेकिन यदि आपका शरीर अधिक गर्म हो जाता है, तो आपका आंतरिक तापमान इस निर्धारित बिंदु से ऊपर बढ़ जाता है। और इस स्थिति में आपको लू लगने की संभावना अधिक हो जाती है।

हीटस्ट्रोक से कैसे रहें दूर? (How to stay safe from Heatstroke in Hindi)

अगर आप लू लगने (हीटस्ट्रोक) से जूझ रहे हैं तो इसके लिए  तत्काल चिकित्सा उपचार करना बेहद आवश्यक है। लू लगने के तुरंत बाद कोशिश करें कि आप अपने शरीर को अधिक से अधिक ठंडा रख पाएं अन्यथा शरीर की गर्मी लू लगने के बाद आपको आंतरिक रुप से कमजोर बना सकती है। हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिससे आप हीटस्ट्रोक से बच सकते हैं या इससे दूर रह सकते हैं:

  • लू लगने के बाद गर्दन, कमर और बगल पर आइस पैक लगाना।
  • उन्हें थोड़ा नमकीन तरल पदार्थ, जैसे स्पोर्ट्स ड्रिंक या नमकीन पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • उन्हें ठंडे, छायादार, हवादार वातावरण में लिटाना।
  • यदि संभव हो तो उन्हें ठंडे पानी में डुबोएं।
  • उन पर पानी छिड़कें और उनके शरीर पर हवा डालें (वाष्पीकरणीय शीतलन)।
  • उनकी सांसों की सावधानीपूर्वक निगरानी करना और वायुमार्ग की किसी भी रुकावट को दूर करना।
  • एस्पिरिन और एसिटामिनोफेन सहित कोई दवा नहीं दे रहे हैं।
  • लू लगने के बाद शरीर पर अगर आपने अधिक भारी कपड़े पहने हैं तो उसको हटा दें।

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