Malaria Causes Symptoms Treatment: मलेरिया के कारण, लक्षण और उपचार

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हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली।

बरसात के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। ऐसे में मच्छर के काटने वाले रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। मलेरिया भी मच्छर के काटने से ही होता है। मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों में से एक है-मलेरिया, जिसने हमारे देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में अपने पैर जमाए हुए हैं। इससे कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक मच्छर के काटने से हर साल करीब 500 मिलियन लोग मलेरिया बुखार की गिरफ्त में आते हैं और 3 मिलियन लोग मौत का शिकार भी हो जाते हैं। इंसानों में मलेरिया रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है, इसकी खोज ब्रिटिश डॉक्टर रोनॉल्ड रॉस ने की थी। मलेरिया होने के कारण, उसके लक्षण और उपचार के बारे में जानिए।

कैसे होता है इंफेक्शन 

मलेरिया, प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट से होने वाली संक्रामक बीमारी है। फीमेल एनाफिलीज मच्छर के काटने से यह पैरासाइट स्वस्थ व्यक्ति के ब्लड में पहुंचता है। रिसर्च में साबित हो गया है कि मच्छरों के काटने के अलावा मलेरिया के ये पैरासाइट गर्भवती महिलाओं के ब्लड से नवजात शिशुओं को भी संक्रमित कर सकते हैं। ब्लड ट्रांसप्लांट या इंफेक्टेड इंजेक्शन का इस्तेमाल करने की स्थिति में भी एक स्वस्थ व्यक्ति मलेरिया का शिकार बन सकता है।

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प्रमुख लक्षण

आमतौर पर मलेरिया का संक्रमण होने के 10 दिन बाद मलेरिया के लक्षण नजर आते हैं। मलेरिया के बुखार में उतार-चढ़ाव होता रहता है। अचानक तेज कंपकंपी के साथ बहुत ठंड लगती है तो कभी बहुत गर्मी भी लगती है, पसीना आने लगता है और बुखार उतरा महसूस होता है। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं-

ठंड लगकर 104-105 डिग्री फॉरेनहाइट तक तेज बुखार आना। 
सिर दर्द, बदन दर्द होना।
जी मिचलाना, उल्टी होना।  
इम्यूनिटी कम होने से बहुत कमजोरी महसूस करना।

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भूख न लगना।  
खून की कमी होना। 
हाथ-पैर में ऐंठन। 
सांस लेने में तकलीफ।  
ब्लड प्लेटलेट्स की कमी।  

त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना। 

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कई बार समुचित देखरेख और उपचार के अभाव में मलेरिया गंभीर रूप ले लेता है। यह रोगी के मस्तिष्क और शारीरिक तंत्र को प्रभावित करता है। इससे एनीमिया, किडनी फेल्योर, कार्डिवैस्कुलर में गड़बड़ी से पक्षाघात या लकवा, लो ब्लड प्रेशर या फिर सेरेबल मलेरिया भी हो सकता है। इससे पीड़ित व्यक्ति कोमा में पहुंच सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। 

ट्रीटमेंट

बुखार होने पर आमतौर पर पैरासिटामॉल जैसी दवाइयां दी जाती हैं। जो बुखार से तो राहत पहुंचाती हैं लेकिन मलेरिया के लक्षणों की पहचान होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर माइक्रोस्कोपिक ब्लड टेस्ट करके मलेरिया का पता लगाते हैं। अगर रोगी के ब्लड प्लेटलेट्स डेढ़ लाख से कम हैं और मलेरिया के लक्षण हैं- तो रोगी का मलेरिया ट्रीटमेंट तुरंत शुरू कर दिया जाता है। रोगी की स्थिति के आधार पर एंटी मलेरियल मेडिसिन का 3 से 5 दिन का कोर्स कराया जाता है। 

लें सही डाइट

बुखार से निपटने के लिए हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है। इस दौरान जूस, नारियल पानी के साथ-साथ पतली खिचड़ी, दलिया, साबूदाना, बॉयल्ड वेजिटेबल, दाल का पानी, वेजिटेबल सूप, सेब, कीवी, अनार जैसे फल और उनके जूस, जौ का पानी ले सकते हैं। दिन में 2-3 बार आधा-आधा कप दूध, अदरक-इलायची वाली चाय ले सकते हैं। 

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बरतें सावधानी

घर के आसपास पानी जमा न होने दें और आवश्यक साफ-सफाई रखें। -नालियों, गटर में नियमित तौर पर डीडीटी, बीएचसी पाउडर जैसे कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें।  घर के अंदर तुलसी, पुदीना, अजवायन, मेहंदी, लेमनग्रास, गेंदा, चमेली जैसे औषधीय पौधे लगाएं। इनकी महक से मच्छर दूर भागते हैं। -मॉसक्यूटो कॉयल का प्रयोग करें, जिससे मच्छर घर से बाहर भाग जाएं। घर के दरवाजों-खिड़कियों पर जाली लगवाएं ताकि वे घर में न आ सकें।  सोते समय मच्छरदानी जरूर लगाकर सोएं। सबसे जरूरी है कि मच्छर काटने से बचा जाए। शरीर को कवर करके रखें, पूरी बाजू की शर्ट और फुल पैंट पहनें।

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