आतंकियों के खिलाफ अभियान की निगरानी के लिए श्रीनगर पहुंचे आईबी के आतंकवाद रोधी प्रमुख

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी में पिछले छह दिनों में हिंदुओं और सिखों सहित लोगों की लक्षित हत्याओं के बाद, इंटेलिजेंस ब्यूरो के काउंटर टेरर (सीटी) ऑपरेशन के प्रमुख स्थिति पर काबू पाने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन की निगरानी के लिए शुक्रवार को श्रीनगर पहुंचे।
आतंकियों के खिलाफ अभियान की निगरानी के लिए श्रीनगर पहुंचे आईबी के आतंकवाद रोधी प्रमुख
आतंकियों के खिलाफ अभियान की निगरानी के लिए श्रीनगर पहुंचे आईबी के आतंकवाद रोधी प्रमुख नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी में पिछले छह दिनों में हिंदुओं और सिखों सहित लोगों की लक्षित हत्याओं के बाद, इंटेलिजेंस ब्यूरो के काउंटर टेरर (सीटी) ऑपरेशन के प्रमुख स्थिति पर काबू पाने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन की निगरानी के लिए शुक्रवार को श्रीनगर पहुंचे।

सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इसी की निगरानी के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के शीर्ष अधिकारी जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं।

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अन्य आतंकवाद निरोधी दल जम्मू-कश्मीर पुलिस की सहायता करने के लिए गुरुवार को घाटी पहुंचे थे।

घाटी में व्यक्तिगत हमलों में सात हिंदू और सिख मारे गए हैं, जिनमें फार्मासिस्ट माखन लाल बिंदरू भी शामिल हैं। बिंदरू ने 1990 के दशक में श्रीनगर छोड़ने से इनकार कर दिया था, जब अधिकांश हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों ने आतंकवादियों द्वारा गैर मुस्लिमों की लक्षित हत्याओं और परेशान किए जाने के बाद मजबूरन पलायन करना पड़ा था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, वहीं सुरक्षा एजेंसियों की विशेष आतंकवाद विरोधी टीमों को तैनात करने का निर्णय भी लिया गया। स्थिति को काबू में करने के लिए आईबी और रॉ सहित खुफिया एजेंसियों के अधिकारी स्थिति की निगरानी करेंगे। उस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, आईबी प्रमुख अरविंद कुमार और रॉ सचिव सामंत गोयल ने भाग लिया था।

गृह मंत्री ने घाटी में लोन वुल्फ हमलों से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर एनएसए और रॉ प्रमुख के साथ अलग-अलग चर्चा की।

जम्मू-कश्मीर में पीड़ित की पहचान सुनिश्चित करने के बाद दिन के उजाले में ही नागरिकों को टारगेट करते हुए उनकी हत्याएं की जा रही हैं और इस तरह से हत्या करना घाटी में सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती बन गया है। इन हत्याओं को उन युवाओं ने अंजाम दिया है जो अभी तक किसी आतंकवादी कैडर में शामिल नहीं हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर घटनाओं में इन हत्याओं के लिए पिस्टल जैसे छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।

इस साल जनवरी से अब तक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा कुल 28 लोगों की हत्या की जा चुकी है।

रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को दो शिक्षकों सुपिंदर कौर और दीपक चंद की हत्या कर दी गई। यही दोनों शिक्षक स्कूल में गैर-मुस्लिम थे, जिन्हें अन्य शिक्षकों से अलग कर दिया गया और फिर करीब से गोली मार दी गई।

गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए, सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि बल ने जम्मू-कश्मीर में अन्य हितधारकों के साथ स्थिति की समीक्षा की है और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए निवारक उपाय किए हैं।

यह कहते हुए कि तीन लोन वुल्फ हमले हुए हैं, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति खराब नहीं हुई है।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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