आम आदमी की समझ में आने वाली भाषा में हो निर्णय देने की व्यवस्था : राष्ट्रपति

प्रयागराज, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो, सामान्य आदमी की समझ में आने वाली भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो, और खासकर महिलाओं तथा कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में भी न्याय मिले, यह हम सबकी जि़म्मेदारी है।
आम आदमी की समझ में आने वाली भाषा में हो निर्णय देने की व्यवस्था : राष्ट्रपति
आम आदमी की समझ में आने वाली भाषा में हो निर्णय देने की व्यवस्था : राष्ट्रपति प्रयागराज, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो, सामान्य आदमी की समझ में आने वाली भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो, और खासकर महिलाओं तथा कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में भी न्याय मिले, यह हम सबकी जि़म्मेदारी है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और अधिवक्ता चैंबर का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जन-साधारण में न्याय-पालिका के प्रति विश्वास और उत्साह को बढ़ाने के लिए लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी लाने से लेकर नीचली आदलत की दक्षता बढ़ाने तक कई पहलुओं पर अनवरत प्रयासरत रहना समय की मांग है। साथ ही उन्होंने आम आदमी की समझ आने वाली भाषा पर निर्णय होने का जोर दिया।

उन्होंने कहा कि महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले। सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है कि न्याय उनकी पकड़ में हो। जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिए। लंबित मामलों का निस्तारण किया। जजों की संख्या बढ़ाई जाए। पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। राज्य सरकार के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जजों की नियुक्ति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपूर्ण समाज की स्थापना महिलाओं की भागीदारी से ही सुनिश्चित होगी। अभी न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी 12 फीसद ही है। उन्होंने कहा कि हमें यह विश्वास बढ़ाना होगा कि न्याय सभी की पहुंच में है। विश्वास जताया कि झलवा में बनाए जाने वाला उप्र नेशनल ला यूनिवर्सिटी विश्व स्तरीय विधि शिक्षा का केंद्र बनेगा। यहां से निकले विद्यार्थी न्यायपूर्ण सामाजिक आर्थिक विकास के वाहक बनेंगे। नालेज सुपर पावर बनने की दिशा में भी विश्वविद्यालय सहायक होगा। प्रयागराज से उत्तम जगह इस विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती थी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सीवी रमन्ना ने संबोधन की शुरूआत हिंदी में की लेकिन फिर अंग्रेजी में बोले। कुंभ नगरी में आगमन को अपने लिए गौरव का विषय बताया। कहा कि महात्मा गांधी ने इसी धरती से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शांति पूर्ण युद्ध की शुरूआत की थी। हम जनसामान्य तक सस्ता व सहज न्याय दिलाने के प्रति कटिबद्ध हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है। यहां के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद करने का फैसला दिया था। सच्चिदानंद सिन्हा, मोतीलाल नेहरू, महामना मदन मोहन मालवीय व जगमोहन लाल सिन्हा का उल्लेख सीजेआई ने भी अपने संबोधन में किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना था कि जिन कार्यों का शिलान्यास हो रहा है वह अर्से से लंबित थे। कुंभ में इंफ्रास्ट्रक्च र विकसित करने की मुहिम हुई तो उच्च न्यायालय से सहयोग मिला। लोग बाधा नहीं डाल पाए। उन्होंने लॉ यूनिवर्सिटी का नाम देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखने का सुझाव दिया। कहा कि उनका संगमनगरी से आत्मीय नाता था। अपने जीवन काल में वह हर कुंभ में आए। कानून मंत्री ने प्रयागराज को ऐतिहासिक शहर बताया। साथ ही भारत सरकार की तरफ से न्यायपालिका को मजबूती देने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। कहा कि ज्युडीशियरी, लोअर ज्युडीशियरी को मदद देने के लिए जो भी संसाधन मुहैया कराना होगा, वह हम कराएंगे।

--आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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