आम आदमी पार्टी का चुनावी राज्यों में कैसे हो रहा है फंड मैनेजमेंट?

नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)। चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव का ऐलान शनिवार को ही कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि आम आदमी पार्टी (आप) इन चुनावों के लिए फंडिंग कैसे जुटा रही है, जबकि विदेश से फंड कलेक्शन पार्टी ने कम से कम रखने का निर्णय लिया है।
आम आदमी पार्टी का चुनावी राज्यों में कैसे हो रहा है फंड मैनेजमेंट?
आम आदमी पार्टी का चुनावी राज्यों में कैसे हो रहा है फंड मैनेजमेंट? नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)। चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव का ऐलान शनिवार को ही कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि आम आदमी पार्टी (आप) इन चुनावों के लिए फंडिंग कैसे जुटा रही है, जबकि विदेश से फंड कलेक्शन पार्टी ने कम से कम रखने का निर्णय लिया है।

आप पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे तमाम राज्यों में चुनाव लड़ेगी। हालांकि आम आदमी पार्टी को इस समय फंडिंग की समस्या से जूझना पड़ रहा है। खास बात ये है कि दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख और गोवा के लिए 20 लाख से बढ़ाकर 28 लाख कर दी है। यानी उम्मीदवारों को और अधिक फंड की जरूरत होगी।

इससे पहले पंजाब आप का एनआरआई विंग काफी मजबूत माना जा रहा था। आप ने एनआरआई विंग की विदेश में स्थापना कर रखी है, विदेशों में जमा हुआ करोड़ों रुपये का फंड आप को चुनावी समर्थन के तौर पर मिला। 2017 के पंजाब चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था। पंजाब में आम आदमी पार्टी के एनआरआई सेल के यूथ उपसंयोजक जोबन रंधावा बनाए गए, जो खुद एनआरआई थे। पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अब 30 हजार एनआरआई समर्थकों ने प्रचार के लिए खुद को पार्टी के साथ रजिस्टर किया था और तब 2000 आप समर्थक एनआरआई पंजाब पहुंचे थे। लेकिन इस बार कनाडा,कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी या अन्य किसी देश में आप का प्रचार या समर्थन नहीं दिख रहा है। तो सवाल ये उठता है कि आम आदमी पार्टी अपने फंड की रेजिंग इस बार कैसे कर रही है।

दरअसल कुछ समय पहले आप के फंड रेजिंग एंड एनआरआई विंग होशियारपुर (अमेरिका) के पूर्व को-आर्डिनेटर वरिंदर सिंह परिहार ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया था कि पार्टी 200 से लेकर 500 करोड़ रुपये तक पंजाब से इकट्ठे कर दिल्ली ले गई है। इसे अमेरिका में रह रहे एनआरआईज से इकट्ठा किया गया था। आरोप था कि पार्टी के सांसद भगवंत मान वैंकुवर गए थे। वहीं सुखपाल सिंह खैहरा अमेरिका गए थे, उन्होंने सिएटल, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी और अन्य स्थानों पर एनआरआईज से मीटिंग की। एनआरआईज ने उन्हें लाखों डॉलर दान के रूप में दिए। यही वजह है कि आप इसबार विदेशी चंदे पर ज्यादा फोकस नहीं कर रही है।

आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी के फंडिंग स्रोतों और पार्टी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा और कांग्रेस को अवैध रूप से विदेशी फंडिंग स्वीकार करने का दोषी ठहराते हुए आप को दो बार क्लीन चिट कैसे दी है?

आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय के अनुसार आप की 92 फीसदी फंडिंग बैंकिंग चैनलों से होती है। केवल 8 फिसदी ही नकद के माध्यम से आता है, और प्रथा के रूप में इसे बैंक खाते में भी जमा किया जाता है जिसे आसानी से सत्यापित किया जा सकता है और छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।

यूपीए और बीजेपी सरकार दोनों के तहत गृह मंत्रालय द्वारा जांच के बावजूद, गृह मंत्रालय ने ही आम आदमी पार्टी को दोनों मौकों पर क्लीन चिट दे दी थी। मई 2014 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने अदालत को बताया कि उसने आम आदमी पार्टी की फंडिंग की जांच में पाया था कि फंडिंग कानूनों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार है।

पार्टी के अनुसार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग (आईटी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), खुफिया ब्यूरो (आईबी) और दिल्ली पुलिस पर पूर्ण नियंत्रण होने के बावजूद, भाजपा सरकार ने आम आदमी पार्टी के वित्त पोषण में कुछ भी गलत नहीं पाया है।

गोपाल राय के मुताबिक पार्टी का देशभर में विस्तार करने के लिए फंड इकट्ठा करने के मकसद से आम आदमी पार्टी ने कुछ साल पहले एक कैंपेन लॉन्च किया था। इसे आप का दान, राष्ट्र का निर्माण नाम दिया गया था। इसी से आप विधानसभा के चुनाव लड़ रही है। पार्टी देश में रह रहे व्यापारियों से चंदा ले रही है।

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी लगातार चुनावी वादे कर रही है। पानी मुफ्त, बिजली मुफ्त, महिलाओं को हर माह रकम देने का ऐलान, बेरोजगारों को भत्ता समेत कई बड़े ऐलान करेगी।

इस मसले पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने आईएएनएस बातचीत में कहा कि इस बार पार्टी पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गोवा समेत सभी राज्यों में ट्रेडर्स के साथ बैठक करके फंड इकट्ठा करने का काम कर रही है। इसके साथ ही आम जनता और पार्टी कार्यकतार्ओं से चंदा लेने के लिए अलग-अलग बैठकें आयोजित की जाएंगी। इस बार विदेशी चंदा पार्टी कम से कम इकट्ठा कर रही है। जहां तक चुनावी ऐलानों की बात है, तो पार्टी के सत्ता में आने के बाद सरकार के टैक्स कलेक्शन के पैसे से जनता को किए गए वादों को पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी तो 35 हजार करोड रुपए का टेक्स टर्नओवर था, जो कि आप बढ़कर 65हजार करोड रुपए से ज्यादा हो गया है।

--आईएएनएस

पीटीके/आरजेएस

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