ईंधन से उपकर और सरचार्ज हटाए केंद्र : तमिलनाडु के वित्तमंत्री

चेन्नई, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। तमिलनाडु के वित्तमंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने गुरुवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उपकर और सरचार्ज को हटाए।
ईंधन से उपकर और सरचार्ज हटाए केंद्र : तमिलनाडु के वित्तमंत्री
ईंधन से उपकर और सरचार्ज हटाए केंद्र : तमिलनाडु के वित्तमंत्री चेन्नई, 28 अप्रैल (आईएएनएस)। तमिलनाडु के वित्तमंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने गुरुवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उपकर और सरचार्ज को हटाए।

त्यागराजन ने कहा, केंद्र सरकार से हमलोग हमेशा अनुरोध करते रहे हैं कि वह ईंधन से उपकर और सरचार्ज (अधिकर) को हटाये और उसे मूल कर दरों से मिला दे ताकि राज्यों को केंद्रीय कर से उनका सही हिस्सा मिल सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सभी राज्यों को ईंधन पर से वैट को घटाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल के दाम में पांच रुपये तथा डीजल के दाम में दस रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।

तमिलनाडु के वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री के इस आह्वान के जवाब में कहा कि केंद्रीय करों के बाद ही तमिलनाडु मूल्य संवर्धित कर (वैट) लगाता है। केंद्र के इस कदम से राज्यों को वार्षिक राजस्व में करीब 1,050 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय करों के अधिक होते हुए राज्य सरकारों से कर में कटौती करने के लिये कहना ना ही उचित है और न ही संभव है।

उन्होंने कहा कि पेट्रोल पर केंद्र सरकार का कर गत सात साल में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। एक अगस्त 2014 को पेट्रोल का मूल्य 48.55 रुपये प्रति लीटर था और उस वक्त इस पर केंद्रीय कर 9.48 रुपये प्रति लीटर था।

उन्होंने बताया कि इसी तरह डीजल की कीमत एक अगस्त 2014 को 47.27 रुपये प्रति लीटर थी और इस पर केंद्रीय कर 3.57 रुपये प्रति लीटर था। उस वक्त राज्य सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर 15.67 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10.25 रुपये प्रति लीटर कर वसूल कर रही थी।

कर में कटौती की घोषणा से पहले केंद्र उपकर और सरचार्ज के रूप में पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर ले रहा था।

कटौती की घोषणा के बाद अब यह दर पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर हो गई है।

उन्होंने कहा कि इस लिहाज से अगर इसकी तुलना में वर्ष 2014 की दर से किया जाए, जब मोदी सरकार बनी थी तो डीजल पर केंद्रीय कर 500 गुणा से अधिक तथा पेट्रोल पर करीब 200 गुणा बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 की तुलना में केंद्र सरकार का राजस्व कई गुणा बढ़ा है, जबकि राज्य सरकार के राजस्व में उतनी बढ़ोतरी नहंी हुई है। ऐसा इसीलिए हुआ, क्योंकि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के उपकर और अधिकर में तो बढ़ोतरी की, लेकिन राज्यों के साथ साझा की जाने वाली एक्सचाइज ड्यूटी में कटौती कर दी।

--आईएएनएस

एकेएस/एसजीके

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