उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए चलेगा जागरूकता अभियान, गर्भवती महिलाओं को प्रेरित करेंगी आशाएं
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य महानिदेशालय में विभाग की समीक्षा बैठक की। जिसमें बताया गया कि राज्य में वर्तमान शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म पर 27 है। स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिशु मृत्यु दर को करने के लिए कार्य योजना तैयार करें। इसके लिए आशाओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं व पौष्टिक आहार के बारे में भी जागरूक किया जाएगा। संस्थागत प्रसव को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नसिर्ंग स्टाफ को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिससे प्रदेश में वर्तमान शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि जिला अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में 343 पिक्कू वार्ड व 119 निक्कू वार्ड की स्थापना की जा रही है। जहां पर नवजात शिशुओं को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न होने पर तत्काल बेहतर उपचार दिया जा सके। राज्य को वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त करने के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए। जिसके तहत 16 अगस्त से एक पखवाड़े तक प्रदेश में टीबी के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही टीबी रोगियों की पहचान भी की जाएगी।
बैठक में प्रदेश भर में स्वीकृत 115 शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना संबंधी कार्य प्रगति की समीक्षा की। जिस पर अधिकारियों ने बताया कि 15वें वित्त आयोग के तहत प्रदेश भर में 115 शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और 23 पॉली क्लीनिक स्वीकृत किए हैं। जिसकी स्थापना के लिए 81.57 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर टेंडर की प्रक्रिया गतिमान है।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य राधिका झा, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. आर. राजेश कुमार, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशीष श्रीवास्तव, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. , शैलजा भट्ट, अपर सचिव अमनदीप कौर, अपर निदेशक शहरी विकास अशोक पांडे, निदेशक एनएचएम डॉ. सरोज नैथानी, निदेशक डॉ. मीतू शाह समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
--आईएएनएस
स्मिता/एएनएम