एनएचएआई ने रियायतकर्ताओं को पहुंचाया अनुचित लाभ: कैग रिपोर्ट

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। एनएचएआई में बीओटी परियोजनाओं में प्रीमियम का युक्तिकरण/आस्थगन पर अपनी अनुपालन ऑडिट रिपोर्ट में, कैग ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने रियायतकर्ताओं (कंसेसियनार) को अनुचित लाभ दिया है।
एनएचएआई ने रियायतकर्ताओं को पहुंचाया अनुचित लाभ: कैग रिपोर्ट
एनएचएआई ने रियायतकर्ताओं को पहुंचाया अनुचित लाभ: कैग रिपोर्ट नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। एनएचएआई में बीओटी परियोजनाओं में प्रीमियम का युक्तिकरण/आस्थगन पर अपनी अनुपालन ऑडिट रिपोर्ट में, कैग ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने रियायतकर्ताओं (कंसेसियनार) को अनुचित लाभ दिया है।

इसमें बताया गया है कि देश में राष्ट्रीय राजमार्ग बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर यानी बनाओ-अपनाओ-सौंप दो (बीओटी) या बीओटी (एन्यूटी), पथकर तथा इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) जैसे विभिन्न तरीकों से तैयार किए जा रहे हैं।

गुरुवार को संसद में पेश की गई कैग/सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है, एनएचएआई ने निविदा बाद संशोधन के जरिए रियायतग्राहियों (परियोजना विकास करने वाले) को अनुचित लाभ पहुंचाया। कंपनियों की तरफ से देय प्रीमियम एक खुली बोली प्रक्रिया के बाद तैयार किये गये कानूनी अनुबंध के तहत निर्धारित किया गया था। इसमें प्रीमियम की पेशकश वित्तीय बोलियों (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) पर निर्णय लेने में एकमात्र मानदंड था। निविदा के बाद कोई भी संशोधन पूरी निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के समान है। यह अनुबंध की पवित्रता के साथ-साथ अन्य बोलीदाताओं को लेकर भी सही नहीं है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, योजना त्रुटिपूर्ण अनुमानों के आधार पर तैयार की गई थी। कैबिनेट नोट का प्रस्ताव करते समय, 23 परियोजनाओं की एक सूची, जो प्रीमियम पर प्रदान की गई थी, लेकिन जिनकी नियत तिथि अभी घोषित नहीं की गई थी, संलग्न की गई थी और इन परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए नीति की आवश्यकता के साथ-साथ लंबित परियोजनाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला गया था। अंत में, विकल्प सी, जिसमें सभी दबावग्रस्त परियोजनाओं के संबंध में प्रीमियम के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव था, को मंजूरी दे दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि, इन सूचीबद्ध परियोजनाओं में से किसी ने भी योजना का लाभ नहीं उठाया। 23 परियोजनाओं में से, जो इस नीति की स्थापना के लिए आधार बनी, 18 परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकीं और बाद में समाप्त/बंद कर दी गईं, जबकि शेष पांच परियोजनाएं, हालांकि शुरू की गईं, थीं, मगर दिसंबर 2019 तक पूरा नहीं हुई थी।

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएचएआई बोर्ड की बैठक में प्रीमियम के युक्तिकरण की नीति या योजना पर न तो विचार किया गया और न ही मंजूरी दी गई और एमओआरटीएच (सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय) कैबिनेट नोटों के संचलन/अनुमोदन के लिए कैबिनेट सचिवालय के दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा।

कैग ने सुझाव दिया कि एनएचएआई कोई नई योजना पेश करने से पहले यह सुनिश्चित कर सकता है कि अनुबंधों के मौजूदा प्रावधानों का अनुपालन हो।

रिपोर्ट में भी एनएचएआई को निविदा के बाद/अनुबंध संशोधनों से बचने की सिफारिश की गई है।

कैग ने कहा कि एनएचएआई/सड़क मंत्रालय को सरकार के मौजूदा नियमों, प्रक्रियाओं और दिशानिदेशरें का पालन करना चाहिए और अपने प्रस्तावों में सभी तथ्यों को रखना चाहिए। खासकर नियमों में बदलाव के समय इसका पालन जरूर होना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है, एनएचएआई की कुल परियोजना लागत में छूटग्राही की कुल परियोजना लागत की तुलना में भारी अंतर था।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि एनएचएआई इस तरह की पुन: बातचीत के लिए आवेदन करने वाले छूटग्राहियों पर जुर्माना लगाने में विफल रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, यह उस विशेष लाभ के लिए क्षतिपूर्ति करने के लिए था, जो हस्ताक्षरित समझौते से परे रियायतधारकों को प्रदान किया जा रहा था। एक तरह से, यह इस क्षेत्र को उबारने के लिए एक हस्ताक्षरित समझौते को फिर से खोलने के नैतिक खतरे को कम करने के लिए था। इसके परिणामस्वरूप एनएचएआई को 51.01 करोड़ रुपये की हानि हुई और छूटग्राही को अनुचित लाभ हुआ।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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