ओम बिरला बुधवार को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे
यह बैठक शिमला में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के पहले सम्मेलन के 100 वर्ष पूरे होने के बाद शताब्दी वर्ष के तौर पर मनाया जाएगा।
लोकसभा सचिवालय ने अपने एक बयान में कहा, यही दिन था, जब सौ साल पहले शिमला में पहला एआईपीओसी आयोजित किया गया था। सम्मेलन का आयोजन अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की पृष्ठभूमि में भी किया जा रहा है, जो हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है।
सम्मेलन का विषय प्रभावी और सार्थक लोकतंत्र को बढ़ावा देने में विधायिका की भूमिका है। भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी इस सम्मेलन में भाग लेंगे और इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22 देशों की संसद को निमंत्रण दिया गया है।
80वां एआईपीओसी पिछले साल 25 और 26 नवंबर को आयोजित किया गया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक संबोधन के साथ संपन्न हुआ था।
अपने समापन भाषण में उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों को आम लोगों को हमारे संविधान को बेहतर ढंग से समझने की दिशा में निर्देशित किया जाना चाहिए।
इस सम्मेलन में प्रभावी और सार्थक लोकतंत्र को बढ़ावा देने में विधायिका की भूमिका पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन में विधायिका कार्यों में आईटी का ज्यादा से ज्यादा करके कार्यों को कैसे सटीक बनाया जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। आमतौर पर लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से हर साल इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
इस तरह के सम्मेलन में लोकतंत्र को मजबूत करने में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा का रोल कितना सशक्त होना चाहिए और सभा के अधिकारियों की भूमिका कैसी होनी चाहिए, इस पर चर्चा होती है।
पिछले साल, 30 राज्य विधानसभाओं में से केवल 20 ने भाग लिया था। पिछले वर्ष के सम्मेलन के दौरान, बिरला ने यह भी बताया था कि ई-विधान पर रिपोर्ट जल्द ही असम राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के तहत गठित समिति द्वारा रखी जाएगी। ई-विधान सभी विधायिकाओं के कार्यों को एक पोर्टल में एक साथ लाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
--आईएएनएस
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