कांग्रेस की कोशिश सत्यव्रत फिर राजनीति में सक्रिय हों!

भोपाल, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। वर्तमान दौर में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर और मध्य प्रदेश में लगातार कमजोर हो रही है और उसे अपने उन नेताओं की कमी खलने लगी है जो वर्तमान दौर में सियासी मैदान से दूर हैं। ऐसे ही नेताओं में एक हैं कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी। कांग्रेस चतुर्वेदी को फिर सियासी तौर पर सक्रिय करना चाहती है और कई नेता उनसे संपर्क करने की कोशिश भी कर रहे हैं।
कांग्रेस की कोशिश सत्यव्रत फिर राजनीति में सक्रिय हों!
कांग्रेस की कोशिश सत्यव्रत फिर राजनीति में सक्रिय हों! भोपाल, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। वर्तमान दौर में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर और मध्य प्रदेश में लगातार कमजोर हो रही है और उसे अपने उन नेताओं की कमी खलने लगी है जो वर्तमान दौर में सियासी मैदान से दूर हैं। ऐसे ही नेताओं में एक हैं कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी। कांग्रेस चतुर्वेदी को फिर सियासी तौर पर सक्रिय करना चाहती है और कई नेता उनसे संपर्क करने की कोशिश भी कर रहे हैं।

इन दिनों कांग्रेस अंदरूनी संघर्ष से घिरी हुई है और आगामी समय में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद वर्ष 2024 में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। पार्टी इन स्थितियों में नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना चाहती है और इसके प्रयास भी तेज हो गए हैं। इसी कड़ी में पार्टी गांधी परिवार के करीबी रहे लोगों को सक्रिय करने की योजना बना रही है। गांधी परिवार के करीबियों में गिने जाने वाले मध्यप्रदेश के तेजतर्रार नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी को पार्टी एक बार फिर सक्रिय करना चाहती है।

चतुर्वेदी की पहचान बेबाक बयानी और अपनी कार्यशैली के कारण रही है। वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मिले जख्मों ने उन्हें राजनीति से ही किनारे करने का फैसला लेने को मजबूर कर दिया। चतुर्वेदी उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने वर्ष 2018 के चुनाव से पहले कांग्रेस को एकजुट करने के अभियान में अहम भूमिका निभाई थी, मगर पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें धोखा दे दिया, क्योंकि उनके बेटे नितिन चतुर्वेदी को छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने का वादा किया था, मगर एन वक्त पर पार्टी वादे से मुकर गई। परिणाम स्वरूप नितिन ने राजनगर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। उसके बाद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने राजनीति से संन्यास ले लिया।

कांग्रेसी से जुड़े लोगों का कहना है कि चतुर्वेदी की गांधी परिवार और खासकर सोनिया गांधी से करीबी माने जाते रहे हैं और वे पूरी तरह कांग्रेस के लिए समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। यही कारण है कि चतुर्वेदी ने किसी दूसरे दल का दामन नहीं थामा और वे पार्टी के नेताओं के रवैया से रुष्ट होकर घर बैठ गए हैं।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्तमान दौर में पार्टी को चतुर्वेदी की कमी खल रही है और कई नेता चाहते हैं कि वे एक बार फिर राजनीति में सक्रिय हों। कुछ नेताओं ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है और कहा तो यहां तक जा रहा है कि चतुर्वेदी को फिर सक्रिय करने के लिए सोनिया गांधी तक संदेश भेजा जा रहा है। इन नेताओं को भरोसा है कि अगर सोनिया गांधी ने चतुर्वेदी से बात की तो हो सकता है कि वे फिर सक्रिय राजनीति में आ जाएं, क्योंकि एक बार करीब दो दशक पहले चतुर्वेदी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रवैए से नाराज होकर राजनीति से संयास लिया था तो सोनिया गांधी के ही कहने पर वे वापस सियासी मैदान में लौटे थे और लोकसभा का चुनाव लड़कर जीते भी थे।

सत्यव्रत चतुर्वेदी का परिवार कांग्रेस विचारधारा में रचा बसा रहा है, उनकी मा पूर्व सांसद विद्यावती चतुर्वेदी और पिता पूर्व मंत्री बाबूराम चतुर्वेदी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से काफी नजदीकी रही। कुल मिलाकर चतुर्वेदी परिवार और गांधी परिवार का नाता बहुत पुराना है। इसी के चलते पार्टी के नेता इस बात की संभावना जताते हैं कि अगर सोनिया गांधी की तरफ से पहल हुई तो चतुर्वेदी फिर राजनीति में लौटने का फैसला कर सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो पार्टी के पास एक ओजस्वी वक्ता तो आएगा ही साथ में पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।

--आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

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