कृषि कानूनों की वापसी ऐसी जैसे किसी का गला दबाओ और मौत न हो तो उसे गले लगाओ : हेमंत सोरेन

रांची, 19 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह इस तरीके की बात है कि पहले गला दबाओ, गला दबाने पर भी न मरे तो गले लगा लो। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के मामले में भाजपा का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। पूरी भाजपा अब इस प्रचार में लगी है कि प्रधानमंत्री किसानों के हितैषी हैं। लगभग सवा साल केंद्र सरकार ने किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और अब इस काले कानून को वापस लेकर अपना पीठ खुद थपथपा रही है।
कृषि कानूनों की वापसी ऐसी जैसे किसी का गला दबाओ और मौत न हो तो उसे गले लगाओ : हेमंत सोरेन
कृषि कानूनों की वापसी ऐसी जैसे किसी का गला दबाओ और मौत न हो तो उसे गले लगाओ : हेमंत सोरेन रांची, 19 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह इस तरीके की बात है कि पहले गला दबाओ, गला दबाने पर भी न मरे तो गले लगा लो। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के मामले में भाजपा का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। पूरी भाजपा अब इस प्रचार में लगी है कि प्रधानमंत्री किसानों के हितैषी हैं। लगभग सवा साल केंद्र सरकार ने किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और अब इस काले कानून को वापस लेकर अपना पीठ खुद थपथपा रही है।

मुख्यमंत्री शुक्रवार को रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस घोषणा से यह बात भी साबित हो गयी है कि देश में लोकतंत्र जिंदा है। केंद्र सरकार से मांग है कि मारे गये किसानों को शहीद का दर्जा मिले और उनके परिजनों को 5-5 करोड़ रुपए मुआवजा के तौर पर दिये जायें। सोरेन ने कहा कि आंदोलन के दरम्यान जिन किसानों के खिलाफ प्राथमिकी और न्यायालय में मामले लंबित हैं उन मामलों को खत्म किया जाये। आंदोलन में शामिल किसानों को क्षतिपूर्ति राशि 10-10 लाख रुपये भी दिये जायें, क्योंकि उन्होंने खेती-किसानी छोड़कर महीनों तक का समय सड़कों पर कष्ट झेलते हुए बिताया।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी घोषणा को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा को भी इस बात का एहसास हो गया था कि अगर कानूनों को वापस नहीं लेते हैं तो आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना होगा।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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