झारखंड के राज्यपाल ने विधानसभा से पारित छह विधेयक आपत्तियों के साथ लौटा दिए सरकार को, अधर में लटके कई कानून

रांची, 23 नवंबर (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा से पारित कई महत्वपूर्ण विधेयक ध्वनिमत या बहुमत से पारित होने के बाद भी अधर में लटक रहे हैं। राज्यपाल रमेश बैस ने बीते एक साल में झारखंड विधानसभा से पारित छह विधेयक कई तरह की आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को लौटा दिए हैं। जब तक राज्य सरकार इन आपत्तियों का निराकरण कर इन्हें दोबारा विधानसभा से पारित नहीं कराती, इन विधेयकों का कानून का रूप लेना कठिन है।
झारखंड के राज्यपाल ने विधानसभा से पारित छह विधेयक आपत्तियों के साथ लौटा दिए सरकार को, अधर में लटके कई कानून
झारखंड के राज्यपाल ने विधानसभा से पारित छह विधेयक आपत्तियों के साथ लौटा दिए सरकार को, अधर में लटके कई कानून रांची, 23 नवंबर (आईएएनएस)। झारखंड विधानसभा से पारित कई महत्वपूर्ण विधेयक ध्वनिमत या बहुमत से पारित होने के बाद भी अधर में लटक रहे हैं। राज्यपाल रमेश बैस ने बीते एक साल में झारखंड विधानसभा से पारित छह विधेयक कई तरह की आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को लौटा दिए हैं। जब तक राज्य सरकार इन आपत्तियों का निराकरण कर इन्हें दोबारा विधानसभा से पारित नहीं कराती, इन विधेयकों का कानून का रूप लेना कठिन है।

मंगलवार को राज्यपाल ने झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 को कई आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को पुनर्विचार के लिए लौटाया है। उन्होंने विधेयक में आठ बिंदुओं पर सुधार की संभावना जताते हुए सरकार को सुझाव भी दिए हैं। राज्यपाल ने कहा है कि विधेयक में राज्य सरकार के नियंत्रण वाले निगम की एजेंसियों द्वारा संचालित लाइसेंसी शराब दुकानों में किसी तरह के अवैधानिक कृत्यों के लिए कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराए जाने का प्रावधान है, जबकि ऐसे मामलों में निगम की ओर से अधिकृत एजेंसियों और उनके पदाधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। इस प्रावधान से ऐसा लगता है कि उच्चाधिकारियों के अवैधानिक कृत्यों को संरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है।

इसके पहले राज्यपाल ने बीते सितंबर में जीएसटी लागू होने के पहले टैक्सेशन से जुड़े विवादों के समाधान से संबंधित विधेयक को इसके हिंदी और अंग्रेजी प्रारूप में अंतरों की वजह से लौटाया था। इस विधेयक का नाम है- झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान बिल, 2022। यह विधेयक झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में पारित हुआ था। उन्होंने सरकार से कहा था कि अंग्रेजी-हिंदी ड्राफ्ट में अंतर और गड़बड़ियों को ठीक करने के बाद वापस विधानसभा से पारित कराकर स्वीकृति के लिए भेजें।

इसी तरह बीते मई महीने में झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2022 सरकार को लौटाते हुए राज्यपाल ने भाषाई विसंगतियों के दस बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी। इस विधेयक में राज्य सरकार ने मंडियों में बिक्री के लिए लाये जाने वाले कृषि उत्पादों पर 2 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का प्रावधान किया है। विधेयक जब तक दुबारा पारित नहीं होता, यह कानून का रूप नहीं ले पाएगा।

अप्रैल महीने में राजभवन ने भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन विधेयक 2021 को सरकार को लौटा दिया था। राजभवन ने सरकार को लिखे पत्र में बताया था कि विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी ड्राफ्ट में समानता नहीं है। इससे विधेयक के प्रावधानों को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

झारखंड सरकार ने पिछले वर्ष विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 21 दिसंबर 2021 को भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक- 2021 पारित किया गया था। सरकार की ओर से कहा गया कि यह कानून बनने के बाद भीड़ की हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगेगी। विधेयक के कानून बनते ही मॉब लिंचिंग के अभियुक्तों को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह विधेयक जब राज्यपाल के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा गया तो उन्होंने हिन्दी और अंग्रेजी प्रारूप में कई गड़बडियों के साथ-साथ भीड़ की परिभाषा पर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया। यह विधेयक अब तक दुबारा पारित नहीं कराया जा सका है। एक अन्य जिस विधेयक को राज्यपाल ने लौटाया था, वह झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित है।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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