झारखंड पुलिस को कानून की मामूली जानकारी भी नहीं : हाई कोर्ट

रांची 10 जनवरी (आईएएनएस )। झारखंड हाईकोर्ट ने बोकारो के एक लॉ स्टूडेंट को मध्य प्रदेश की पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने के मामले में झारखंड पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि झारखंड की पुलिस को कानून की मामूली जानकारी भी नहीं है। पुलिस को कैप्सूल कोर्स करवा कर अपने अधिकारियों को कानून की मौलिक जानकारियां देनी चाहिए।
झारखंड पुलिस को कानून की मामूली जानकारी भी नहीं : हाई कोर्ट
झारखंड पुलिस को कानून की मामूली जानकारी भी नहीं : हाई कोर्ट रांची 10 जनवरी (आईएएनएस )। झारखंड हाईकोर्ट ने बोकारो के एक लॉ स्टूडेंट को मध्य प्रदेश की पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने के मामले में झारखंड पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि झारखंड की पुलिस को कानून की मामूली जानकारी भी नहीं है। पुलिस को कैप्सूल कोर्स करवा कर अपने अधिकारियों को कानून की मौलिक जानकारियां देनी चाहिए।

बता दें कि बीते वर्ष 24 नवंबर को मध्य प्रदेश पुलिस ने बोकारो से लॉ छात्र को गिरफ्तार किया था, लेकिन परिजनों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गयी। इस मामले में छात्र के परिजनों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है कि छात्र की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस के पास सिर्फ सर्च वारंट था, जबकि अरेस्ट वारंट अनिवार्य है।

मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि जस्टिस डीके वासु के आदेश का भी पुलिस ने इस दौरान उल्लंघन किया है। गिरफ्तारी के वक्त पुलिस को यूनिफॉर्म के साथ आधिकारिक वाहन में होना चाहिए, लेकिन छात्र की गिरफ्तारी के वक्त इन नियमों का उल्लंघन किया गया।

जस्टिस एस चंद्रशेखर और रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने कहा कि बाहर की पुलिस आकर राज्य से व्यक्ति को पकड़ कर ले जाती है। कस्टडी में ले जाने के लिए ट्रांजिट परमिट तक नही लिया जाता, न ही कोर्ट में पेश किया जाता है। यह कैसे संभव है? झारखंड पुलिस को सूचना थी तो अभियुक्त को बिना ट्रांजिट रिमांड के जाने कैसे दिया गया? इस मामले में मध्य प्रदेश पुलिस की गलती जितनी है, उतनी ही गलती झारखंड पुलिस की भी है।

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि अगर छात्र किसी मामले में अभियुक्त था, तो उसे सीजीएम कोर्ट में पेश किया जाता। कोर्ट चाहती तो अभियुक्त को बेल दे सकती थी, लेकिन जान बूझ कर अखंड पुलिस ने पुलिस ने अभियुक्त को दूसरे राज्य की पुलिस को ले जाने दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि मामले में डिटेल एफिडेविट कोर्ट में पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम

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