डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: ईडी को पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी से जेल में पूछताछ की अनुमति मिली

कोलकाता, 5 अगस्त (आईएएनएस)। पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को शुक्रवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने वाली विशेष लोक धन शोधन अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को दोनों से जेल में संबंधित मामले में पूछताछ करने की अनुमति दे दी।
डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: ईडी को पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी से जेल में पूछताछ की अनुमति मिली
डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: ईडी को पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी से जेल में पूछताछ की अनुमति मिली कोलकाता, 5 अगस्त (आईएएनएस)। पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को शुक्रवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने वाली विशेष लोक धन शोधन अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को दोनों से जेल में संबंधित मामले में पूछताछ करने की अनुमति दे दी।

करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती घोटाले के संबंध में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को अदालत ने दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

अदालत ने कहा कि ईडी के जांच अधिकारी सुधार गृह अधीक्षकों से बात करेंगे और बाद में उन्हें केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को चटर्जी और मुखर्जी से पूछताछ करने की अनुमति देनी होगी। चटर्जी को जहां प्रेसीडेंसी केंद्रीय सुधार गृह भेजा गया है, वहीं मुखर्जी को अलीपुर महिला सुधार गृह में दो सप्ताह बिताने होंगे।

मामले में सुनवाई करते हुए ईडी के वकील फिरोज एडुल्जी ने विशेष रूप से केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को न्यायिक हिरासत के दौरान दोनों से पूछताछ करने की अनुमति पर जोर दिया।

अदालत ने अलीपुर महिला सुधार गृह, जहां मुखर्जी को रखा जाएगा, के अधीक्षक को न्यायिक हिरासत के दौरान उनकी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। संबंधित जेल अधिकारी ने 18 अगस्त को अपनाए गए सुरक्षा उपायों पर अदालत को अपडेट करने का भी निर्देश दिया, जब दोनों को फिर से उसी अदालत में पेश किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान ईडी और मुखर्जी दोनों के वकील ने जेल में उनकी जान को खतरा होने की आशंका जताई। जबकि उनके वकील ने उसे प्रथम श्रेणी कैदी का दर्जा देने की मांग की। वहीं ईडी के वकील ने अपील की कि उन्हें जो भोजन और तरल दिया जाएगा, उसकी पहले जांच की जानी चाहिए और फिर परोसा जाना चाहिए।

हालांकि अदालत ने प्रथम श्रेणी कैदी की स्थिति के बारे में निर्दिष्ट नहीं किया, लेकिन इसने संबंधित सुधार गृह के अधीक्षक को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

--आईएएनएस

एकेके/आरएचए

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