तीनों कृषि कानून वापस, किसानों के साल के संघर्ष का परिणाम : येचुरी

नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने बहादुर किसानों के संघर्ष का परिणाम है, तीन कृषि कानून रद्द होना। सीपीआईएम पोलित ब्यूरो ने किसानों को सलाम किया है।
तीनों कृषि कानून वापस, किसानों के साल के संघर्ष का परिणाम : येचुरी
तीनों कृषि कानून वापस, किसानों के साल के संघर्ष का परिणाम : येचुरी नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) ने बहादुर किसानों के संघर्ष का परिणाम है, तीन कृषि कानून रद्द होना। सीपीआईएम पोलित ब्यूरो ने किसानों को सलाम किया है।

सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि हमारे किसानों और उनके बहादुर संघर्ष को सलाम जिसने मोदी के तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है। हमें इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले 750 से अधिक किसानों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए। वे हमारे शहीद हैं।

येचुरी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर कहा, हम देश के लोगों और केंद्र सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि इन्हीं किसानों को, खालिस्तानी बताया गया। प्रधानमंत्री ने इन्हें आंदोलनजीवी बताया। किसानों को जिस केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ी से कुचला गया, उनसे केंद्र सरकार को पहले इस्तीफा लेना चाहिए। सरकार को किसानों को हर फसल पर एमएससी लागू करना चाहिए।

उन्होंने कहा, एक सफल संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए किसान सयुक्त मोर्चा (एसकेएम) और किसानों को बधाई। एक जिद्दी पीएम और उनकी सरकार को भी झुकने को मजबूर होना पड़ा।

3 कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए संसद को एमएसपी को कानूनी अधिकार के रूप में अधिनियमित करना चाहिए। 750 से अधिक किसान शहीद हुए फिर भी प्रधानमंत्री ने खेद नहीं जताया।

येचुरी ने कहा चुनाव से ठीक पहले इस तरह की घोषणा साफ बताती है कि ये चुनावी ऐलान है। देश की जनता, देश का किसान भूलने वाले नहीं है। किसानों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया। ये कोई भूलने वाला नहीं है।

उन्होंने कहा कि जनता अब उल्टा सवाल ये पूछेगी की एक साल क्यों लगा। अगर यही करना था तो पहले भी कर सकते थे। उत्तरप्रदेश चुनाव से, पंजाब से ठीक पहले ही क्यों ये तीनों कानून वापस लिए गए।

उन्होंने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की तलाश जारी रहेगी। प्रधानमंत्री को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

विपक्ष इस मुद्दे पर हमेशा से एकजुट है। 20 विपक्षी दलों ने मिलकर केंद्र से इस कानून को वापस लेने की मांग की है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है।

--आईएएनएस

पीटीके/एएनएम

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