दरभंगा के गांव से निकलकर आए भोला बन गए लालू के हनुमान
वैसे, भोला लालू प्रसाद के आवास पर एक सेवक के रूप में पहुंचे थे, लेकिन धीरे धीरे उनका ओहदा बढ़ता गया और फिर इनकी चर्चा लालू के हनुमान के रूप में होने लगी। कहा जाता है की लालू के हर छोटे बड़े कामों में इनकी सहभागिता है।
दरभंगा जिले के बहादुरपुर प्रखंड के कपछियाही गांव से आए भोला यादव का लालू प्रसाद से परिचय एक विधान पार्षद ने अपने मुंशी के तौर पर कराई थी और फिर भोला लालू प्रसाद के पास आ गए और वे लालू प्रसाद के खासम खास बनते चले गए। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भोला का कद और बढ़ गया और इनकी पहचान मुख्यमंत्री के निजी सहायक के तौर पर होने लगी।
इसके बाद राजनीतिक परिवार में अहम पहचान बना चुके भोला लालू के चारा घोटाले में अदालती चक्कर लगाने की बात हो या बीमारी में अस्पताल में रहने की, लालू के साए की तरह लगे रहे।
भाजपा के सांसद सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि लालू परिवार की 40 से ज्यादा संपत्ति की खरीद फरोख्त में भोला यादव ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किया है। वे भ्रष्टाचार में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल रहे हैं।
इस दौरान भोला यादव राजनीति में भी हाथ आजमाते रहे। 2015 में भोला यादव ने बहादुरपुर विधानसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और भारी मतों से विजयी हुए। पिछले विधानसभा चुनाव में हायाघाट से उम्मीदवार बनाया गया लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा और कहा जाता है कि उसी समय से उनकी मुश्किलें बढ़ने लगी।
माना तो यहां तक जा रहा है कि भोला यादव की गिरफ्तारी से लालू प्रसाद की ही नहीं पूरे परिवार की मुश्किलें बढ़ने वाली है। क्योंकि लालू प्रसाद के भोला सबसे बड़े राजदार रहे हैं।
भाजपा के नेता सुशील मोदी की माने तो अधिकांश जमीन के दस्तावेज में भोला यादव के हस्ताक्षर हैं।
--आईएएनएस
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