दिल्ली हाईकोर्ट ने नौसेना भर्ती मानदंड संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय नौसेना में अधिकारी रैंक से नीचे (पीबीओआर) की चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने नौसेना भर्ती मानदंड संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने नौसेना भर्ती मानदंड संबंधी जनहित याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय नौसेना में अधिकारी रैंक से नीचे (पीबीओआर) की चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने अधिवक्ता अंकुर छिब्बर के माध्यम से याचिकाकर्ता विक्रम स्वामी द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर रक्षा मंत्रालय, नौसेना प्रमुख और अन्य को नोटिस जारी किया। अदालत ने मामले को 11 जनवरी, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया। याचिकाकर्ता ने याचिका में आरोप लगाया कि भारतीय नौसेना चयन प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण की शुरुआत से पहले ही शॉर्टलिस्टिंग मानदंडों को शामिल करके पीबीओआर की भर्ती में भेदभाव कर रही है।

हालांकि, अदालत ने किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें प्रतिवादियों को उन सभी उम्मीदवारों पर विचार करने का निर्देश दिया गया है, जो विज्ञापन में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि विज्ञापन में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले सभी व्यक्तियों को भर्ती प्रक्रिया में उन्मूलन के तीन चरणों में भाग लेने की अनुमति है। परिणामस्वरूप, पात्र उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया में भाग लेने से रोकने का कोई प्रावधान नहीं है, यदि वह न्यूनतम पात्रता योग्यता पूरी कर रहा है।

इस प्रकार, नौसेना भर्ती प्रक्रिया से गुजरने के बाद लिखित परीक्षा और अन्य अनिवार्य मानदंडों के आधार पर शॉर्टलिस्टिंग मानदंड का सहारा लेती है।

याचिका में आगे 16-22 अक्टूबर 2021 को रोजगार समाचार में जारी किए गए विज्ञापन को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

भारतीय नौसेना ने अदालत से कहा कि उसने आवेदकों द्वारा कक्षा 10 जोड़ 2 परीक्षा में प्राप्त कट-ऑफ अंकों को बढ़ाकर उन्हें शॉर्टलिस्ट करने का अधिकार सुरक्षित रखा है।

याचिका में आगे कहा गया है कि उनका ऐसा कार्य तर्कहीन है और भर्ती के उद्देश्य से इसका कोई संबंध नहीं है, क्योंकि यह उन उम्मीदवारों के कानूनी और वैध अधिकार को छीन लेता है जो विज्ञापन में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने के बावजूद भर्ती से वंचित हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

Share this story