न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ खतरनाक रुख अपना रही बिहार पुलिस : पटना हाईकोर्ट

पटना, 4 अगस्त (आईएएनएस)। पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ उसका रवैया खतरनाक है और वह उच्चतम न्यायालय के फैसलों का सम्मान भी नहीं कर रहा है।
न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ खतरनाक रुख अपना रही बिहार पुलिस : पटना हाईकोर्ट
न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ खतरनाक रुख अपना रही बिहार पुलिस : पटना हाईकोर्ट पटना, 4 अगस्त (आईएएनएस)। पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ उसका रवैया खतरनाक है और वह उच्चतम न्यायालय के फैसलों का सम्मान भी नहीं कर रहा है।

न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित शाह की खंडपीठ ने बिहार के डीजीपी एस.के. सिंघल के समक्ष यह बयान दिया, जो मधुबनी में एडीजे अविनाश कुमार मारपीट मामले की सुनवाई के सिलसिले में बुधवार को अदालत द्वारा तलब किए जाने के बाद पीठ के समक्ष पेश हुए थे।

एडीजे, झंझारपुर, अविनाश कुमार पर 18 नवंबर, 2021 को तत्कालीन घोघरदेह एसएचओ गोपाल कृष्ण और सब-इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने उनके कोर्ट चैंबर में हमला किया था। दोनों पुलिसकर्मियों ने उस पर पिस्तौल तानकर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। बाद में झंझारपुर कोर्ट के वकीलों ने उन्हें बचा लिया।

घटना के बाद एडीजे अविनाश कुमार ने दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ झंझारपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। तब से हाईकोर्ट मामले की निगरानी कर रहा था।

हालांकि बुधवार को कोर्ट यह जानकर हैरान रह गई कि एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस की ओर से पेश हुए सरकारी वकील मृगांग मौली ने कहा कि इस साल जून में तत्कालीन एसएचओ और एसआई के बयान पर एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस पर चीफ जस्टिस संजय करोल ने उनसे कोर्ट को यह बताने को कहा कि एडीजे के खिलाफ किस कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

राज्य पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का उल्लंघन किया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ प्राथमिकी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद ही दर्ज की जाएगी। चूंकि मैंने एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं दी है। बिहार पुलिस उसके खिलाफ प्राथमिकी कैसे दर्ज कर सकती है।

उन्होंने गुरुवार को डीजीपी को तलब किया था।

गुरुवार को पीठ ने डीजीपी से यह भी कहा कि अगर नेताओं के खिलाफ कोई मामला दर्ज होता है तो पुलिस उसे तुरंत वापस ले लेगी। फिर, आपने एक जज के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने में देरी क्यों की?

इस पर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि पुलिस ने एडीजे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गलती की है। चूंकि पुलिस इसे अपने आप वापस नहीं ले सकती, इसलिए उसने प्रक्रिया शुरू कर दी है और प्राथमिकी को रद्द करने के लिए संबंधित अदालत में एक आवेदन दायर किया है। जल्द ही एफआईआर रद्द कर दी जाएगी।

आश्वासन के बाद, पीठ ने पुलिस को अगली सुनवाई तक त्रुटि को सुधारने का निर्देश दिया।

--आईएएनएस

आरएचए/एएनएम

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