न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास: एजी ने महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के खिलाफ की अवमानना की मांग

नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की ओर से एक मामले में चल रही सुनवाई के बीच अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल को हटाने पर फटकार लगाई।
न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास: एजी ने महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के खिलाफ की अवमानना की मांग
न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास: एजी ने महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के खिलाफ की अवमानना की मांग नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की ओर से एक मामले में चल रही सुनवाई के बीच अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल को हटाने पर फटकार लगाई।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह सही नहीं है.. क्या एजी के साथ व्यवहार करने का यही तरीका है?

वर्चुअली पेश हुए एजी ने कहा, कल, एक पत्र देखने को मिला कि मैं (वक्फ बोर्ड) का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा हूं.. अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ है।

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह वह तरीका नहीं है, जिससे आपको एजी के साथ व्यवहार करना है।

एजी ने शीर्ष अदालत से पत्र को बोर्ड पर लेने का आग्रह किया, ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, उच्च न्यायालय में ऐसा नहीं हो सकता।

संक्षिप्त सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले को 19 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ वक्फ द्वारा दायर अपीलों के एक बैच की सुनवाई कर रहा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर विचार करने का फैसला किया है कि क्या एक चेरिटेबल ट्रस्ट सिर्फ इसलिए वक्फ संपत्ति बन जाएगा, क्योंकि ये किसी मुस्लिम द्वारा शुरू किया गया है।

अदालत के समक्ष एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या मुसलमानों द्वारा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान की गई सभी भूमि वक्फ के अंतर्गत आएगी?

वक्फ बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताने के लिए एजी ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र भी लिखा है।

मामले पर विस्तृत से गौर करें तो महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड मामले से खुद को हटाए जाने पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल नाराज हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के खिलाफ अवमानना की मांग की। एजी की बात पर सहमत होते हुए सीजेआई ने कहा कि ये तो न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने का अनुचित प्रयास है और सुप्रीम कोर्ट में ऐसा नहीं हो सकता।

दरअसल, एजी ने एक मामले में वकील के रूप में उनकी जगह महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के वकील पर आपत्ति जताई थी।

एजी ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को लिखे अपने पत्र में कहा, वकील का अंतिम समय में इस तरह का बदलना न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने का अनुचित प्रयास और अदालत की अवमानना के बराबर है। यह न्याय के उचित प्रशासन में हस्तक्षेप करने का एक गंभीर, अनावश्यक और अनुचित प्रयास है। यह स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना का कार्य है।

उन्होंने यह भी शिकायत की है कि वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन, जिन्होंने पिछली बार अदालत को सूचित किया था कि एजी उनका नेतृत्व करेंगे और मामले में उन्हें निर्देश दे रहे हैं, को मामले से वापस ले लिया गया है।

एजी ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त विशेष वकील जावेद शेख को उनके पद से हटा दिया गया है, जो उन्हें वक्फ बोर्ड के मामलों में 2011 से निर्देश दे रहे हैं और उनकी राय में वक्फ कानून पर अधिकार रखते हैं।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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