पश्चिम बंगाल : धरातल पर संगठन को मजबूत करने में जुटेगी भाजपा

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में 30 अक्टूबर को विधानसभा की 4 सीटों पर उपचुनाव होना है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा इन सीटों पर सत्तारूढ़ टीएमसी को कड़ी टक्कर देने का मंसूबा भी बना चुकी है लेकिन हाल ही में राज्य की 3 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे जिस अंदाज में पूरी तरह से ममता बनर्जी के पक्ष में गए , उससे भाजपा को वहां की जमीनी हकीकत का अंदाजा बखूबी हो गया है।
पश्चिम बंगाल : धरातल पर संगठन को मजबूत करने में जुटेगी भाजपा
पश्चिम बंगाल : धरातल पर संगठन को मजबूत करने में जुटेगी भाजपा नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में 30 अक्टूबर को विधानसभा की 4 सीटों पर उपचुनाव होना है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा इन सीटों पर सत्तारूढ़ टीएमसी को कड़ी टक्कर देने का मंसूबा भी बना चुकी है लेकिन हाल ही में राज्य की 3 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे जिस अंदाज में पूरी तरह से ममता बनर्जी के पक्ष में गए , उससे भाजपा को वहां की जमीनी हकीकत का अंदाजा बखूबी हो गया है।

आईएएनएस से बातचीत करते हुए एक भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि टीएमसी राज्य की प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है और मतदाताओं को डरा-धमका कर चुनाव जीत रही है। उन्होने कहा कि हमारे नेताओं और कार्यकतार्ओं पर लगातार हमला किया जा रहा है।

लेकिन बदली हुई परिस्थिति में अब भाजपा ने भी अपनी रणनीति को बदलना शुरू कर दिया है। आईएएनएस से बातचीत करते हुए भाजपा नेता ने बताया कि पार्टी अब अपना पूरा फोकस जमीन पर संगठन को मजबूत करने में लगाने जा रही है। भाजपा नेताओं को जिस आक्रामक अंदाज में ममता बनर्जी लगातार तोड़ रही हैं, उसे देखते हुए प्रदेश संगठन को यह कहा गया है कि वो नए और पुराने सभी गुटों के नेताओं के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करके संगठन को मजूबत बनाने के लिए कार्य करें।

हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे में बदलाव कर चुके पार्टी आलाकमान ने अब प्रभारी के दायित्व में भी बदलाव करने का मन बना लिया है।

दरअसल , 2021 के विधानसभा चुनाव में 2016 के मुकाबले 3 से सीधे 77 सीट पर पहुंचने को भाजपा निश्चित तौर पर अपनी कामयाबी मान रही है, लेकिन इन नतीजों ने लोकसभा चुनाव को लेकर भी उसकी चिंता बढ़ा दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और इस जीत को अगर विधानसभा स्तर पर देखा जाए तो भाजपा को 121 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी लेकिन 2021 विधानसभा चुनाव में यह 77 पर ही सिमट कर रह गई।

2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी और भाजपा के बीच महज 3 प्रतिशत वोट का अंतर था जो 2021 के विधानसभा चुनाव में 10 प्रतिशत तक पहुंच गया। यानि 2019 से 2021 के दो वर्ष के अंदर ही भाजपा के वोट प्रतिशत में 2 फीसदी की कमी आई, जबकि ममता बनर्जी की पार्टी को 5 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले।

भाजपा और टीएमसी के बीच मचे टकराव की वजह से पश्चिम बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष समेत कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं के खिलाफ कई-कई मुकदमें भी दर्ज हो गए हैं।

पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया राज्य की टीएमसी सरकार भाजपा के जनप्रतिनिधियों को लगातार डरा-धमका रही है और इसी वजह से पार्टी के नेता भाजपा को छोड़कर टीएमसी में शामिल हो रहे हैं। इसे बहुत बड़ी समस्या न मानते हुए भाजपा ने यह तय कर लिया है कि अब पूरा फोकस नई टीम के साथ संगठन को मजबूत करने में लगाया जाए। पार्टी संगठन को कई स्तरों पर मजबूत बनाने के लिए आने वाले दिनों में आरएसएस से जुड़े कई अन्य संगठन भी राज्य के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों के बीच काम करते नजर आएंगे।

--आईएएनएस

एसटीपी/एएनएम

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