बंगबंधु के घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ, हसीना ने दी श्रद्धांजलि

ढाका, 10 जनवरी (आईएएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो पाकिस्तान की जेल में महीनों बिताने के बाद 1972 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की देश वापसी का प्रतीक है।
बंगबंधु के घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ, हसीना ने दी श्रद्धांजलि
बंगबंधु के घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ, हसीना ने दी श्रद्धांजलि ढाका, 10 जनवरी (आईएएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो पाकिस्तान की जेल में महीनों बिताने के बाद 1972 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की देश वापसी का प्रतीक है।

उन्होंने ढाका के बंगबंधु स्मारक संग्रहालय में अपने पिता के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसके बाद वह कुछ देर मौन खड़ी रहीं।

प्रधानमंत्री के साथ उनकी छोटी बहन शेख रेहाना भी थीं।

बांग्लादेश लौटने के बाद, रहमान का मीडिया को दिया पहला बयान था, सज्जनों, जैसा कि आप देख सकते हैं, मैं जीवित हूं और ठीक हूं।

बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष को हराने के प्रयास में, ऑपरेशन सर्चलाइट की शुरूआत में 26 मार्च, 1971 के शुरूआती घंटों में पाकिस्तानी सेना ने उनका अपहरण कर लिया था।

हालांकि, रहमान की दूरदर्शिता ने अपने भरोसेमंद जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारियां सौंपने और लोगों में विश्वास सुनिश्चित किया कि वे न केवल स्वतंत्रता के लिए एक भीषण युद्ध छेड़ेंगे, बल्कि जीत भी सुनिश्चित करेंगे।

8 जनवरी, 1972 को बंगबंधु के रिहा होने के बाद, वह तुरंत ढाका लौटना चाहते थो, लेकिन जैसा कि भारतीय हवाई क्षेत्र में पाकिस्तानी विमानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने आदेश दिया कि रहमान तेहरान या किसी अन्य तटस्थ स्थान के लिए उड़ान भरें, न कि भारत से।

इसके बाद उन्होंने लंदन जाने का फैसला किया, जहां उन्होंने क्लेरिज होटल में एक सनसनीखेज मुलाकात और अभिवादन में विश्व मीडिया को संबोधित किया।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बांग्लादेश की मदद के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को धन्यवाद देने के लिए दिल्ली में एक संक्षिप्त पड़ाव के बाद, वे अंतत: घर लौट आए, जहाँ लाखों लोग उनके स्वागत के लिए ढाका की सड़कों पर खड़े थे।

अपनी वापसी पर, बंगबंधु ने 10 जनवरी को रेस कोर्स (अब सुहरावर्दी उद्यान) में एक भाषण दिया जिसमें उन सिद्धांतों को रेखांकित किया गया था जिन पर बांग्लादेश एक संप्रभु राज्य के रूप में कार्य करेगा।

मेरा बांग्लादेश आज आजाद है, मेरे जीवन की इच्छा आज पूरी हुई, मेरे बंगाल के लोग आज आजाद हुए हैं। मेरा बंगाल आजाद रहेगा।

मेरे राज्य में, इस बांग्लादेश में, एक समाजवादी व्यवस्था होगी। इस बांग्लादेश में लोकतंत्र होगा। बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा।

उन्होंने कहा था, हम सब मिलकर एक नए और समृद्ध बंगाल का निर्माण करेंगे। बंगाल के लोग फिर से खुश होंगे, खुशहाल जीवन जिएंगे और खुले वातावरण में खुलकर सांस लेंगे।

ऐतिहासिक दिन कोविड -19 प्रोटोकॉल के साथ पूरे देश में मनाया जाएगा।

सत्तारूढ़ अवामी लीग ने विभिन्न कार्यक्रमों की व्यवस्था की है।

--आईएएनएस

एसकेके/आरजेएस

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