मप्र के ओंकारेश्वर में दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना के लिए करार

भोपाल, 4 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर बांध पर दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना के लिए गुरुवार को करार हुआ। यह करार एनएचडीसी लिमिटेड, एएमपी एनर्जी तथा एसजेवीएन लिमिटेड के बीच हुआ है। पहले चरण में 278 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
मप्र के ओंकारेश्वर में दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना के लिए करार
मप्र के ओंकारेश्वर में दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना के लिए करार भोपाल, 4 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर बांध पर दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना के लिए गुरुवार को करार हुआ। यह करार एनएचडीसी लिमिटेड, एएमपी एनर्जी तथा एसजेवीएन लिमिटेड के बीच हुआ है। पहले चरण में 278 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।

इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 2027 तक मध्यप्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 20 हजार मेगावॉट होगी। मध्यप्रदेश को हार्ट ऑफ इंडिया के साथ लंग्स ऑफ इंडिया बनाने के मार्ग पर राज्य सरकार अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जलवायु परिवर्तन के लिए ग्लासगो के सम्मेलन में दिए गए पंचामृत मंत्र और भारत की सभी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने की दिशा में मध्यप्रदेश हरसंभव योगदान देगा। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना अद्भुत है। विश्व में वर्तमान में 10 फ्लोटिंग सोलर प्लांट हैं। ओंकारेश्वर परियोजना, जल पर बनने वाली विश्व की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजना होगी।

राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में 600 मेगावॉट ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना के अनुबंध हस्ताक्षर समारोह तथा ऊर्जा साक्षरता अभियान की ऊर्जा आंकलन मार्गदर्शिका के विमोचन कार्यक्रम हुआ।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ओंकारेश्वर परियोजना के प्रथम चरण में 278 मेगावॉट की क्षमता स्थापित होगी। यह परियोजना इस ²ष्टि से भी अद्भुत है, क्योंकि परियोजना के क्रियान्वयन में भूमि की आवश्यकता नहीं है। परिणामस्वरूप किसी का भी विस्थापन नहीं होगा। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि जल आधारित परियोजना में बिजली का उत्पादन भूमि आधारित सोलर परियोजना की तुलना में अधिक होता है। पानी की सतह पर सौर पैनल लग जाने से पानी भाप बनकर नहीं उड़ेगा। इससे 60 से 70 प्रतिशत तक पानी को बचाया जा सकेगा। यह भोपालवासियों के 124 दिन के पीने के पानी के बराबर होगा। साथ ही प्लांट लग जाने से पानी में शैवाल जैसी वनस्पतियाँ कम विकसित होंगी और पानी पीने लायक बना रहेगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि परियोजना से 12 लाख मीट्रिक टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। यह एक करोड़ 52 लाख पेड़ लगाने के बराबर है। प्रदेश वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति नवकरणीय ऊर्जा से करने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रहा है। राज्य सरकार ने नई नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 का क्रियान्वयन आरंभ कर दिया है। प्रदेश में ग्रीन सिटी के विकास की अवधारणा को भी मूर्त रूप दिया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा, छतरपुर, मुरैना, आगर, शाजापुर और नीमच जिलों में सौर परियोजनाओं का कार्य जारी है। हम प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प के अनुरूप अन्नदाता किसान को ऊर्जा दाता बनाने के लिए भी कुसुम योजना में सक्रिय हैं।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के अनुरूप नवकरणीय ऊर्जा में प्रदेश नए आयाम स्थापित कर रहा है। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज दण्डोतिया ने कहा कि ओंकारेश्वर परियोजना जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच ऊर्जा का सुरक्षित स्त्रोत है। इससे भूमि की भी बचत होगी, जिसका उपयोग प्रदेश में कृषि तथा अन्य उद्योगों की स्थापना में किया जा सकेगा।

--आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

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