योग नगरी में योग को प्रसिद्धि दिलाने वाले प्रदेश में ही हैं योगाचार्य निराश
कैबिनेट में प्रस्ताव आने के बाद भी वे वर्षों से नियुक्ति की आस लगाए हुए हैं। सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत भी वेद, ज्योतिष और वैदिक गणित को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की है। शिक्षण के लिए योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति का मामला पूर्व में कैबिनेट में आया लेकिन सिस्टम की खामी के चलते मामला फाइलों में ही दबकर रह गया। बेरोजगारों के मुताबिक एक मार्च 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिहरी में आयोजित एक समारोह में जूनियर हाईस्कूलों एवं उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा के लिए योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी। इसके बाद कैबिनेट में भी प्रस्ताव आया।
तब निर्णय लिया गया कि 50 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में योग शिक्षकों एवं बीपीएड प्रशिक्षितों को नियुक्ति दी जाएगी। धामी कैबिनेट में भी सरकारी महाविद्यालयों, हर ब्लॉक के एक इंटर कालेज में योग शिक्षक की भर्ती का प्रस्ताव आया, लेकिन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिली।
योग प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष अमित नेगी ने कहा कि योग प्रशिक्षित बेरोजगारों के मसले पर तमाम घोषणाएं हुइर्ं, कई वादे किए गए, लेकिन नियुक्ति नहीं मिली। यही वजह है कि दुनिया में योग को प्रसिद्धि दिलाने वाले प्रदेश के बेरोजगार निराश हैं।
योग प्रशिक्षित बेरोजगार शिक्षा निदेशालय में एक जून से अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। आंदोलनरत योग प्रशिक्षितों की मांग है कि प्रदेश के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों में योग को अनिवार्य विषय कर उनकी नियुक्ति की जाए। इसके अलावा प्रदेश के आयुष, एलोपैथिक अस्पतालों एवं पर्यटन विभाग के तहत पर्यटक आवास गृहों में नियुक्ति दी जाए।
प्रदेश के सभी 120 सरकारी महाविद्यालयों में योग शिक्षकों को नियुक्ति मिलेगी। उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत के मुताबिक शिक्षा निदेशालय से इसके लिए प्रस्ताव मांगा गया है। स्कूलों में भी इनकी नियुक्ति के लिए संभावना तलाशी जा रही है। इसके अलावा 1461 वैलनेस सेंटरों में योग प्रशिक्षितों को 250 रुपये प्रतिघंटा के हिसाब से रखा जाएगा।
--आईएएनएस
स्मिता/आरएचए/एएनएम