लखीमपुर भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवार को अपने नेताओं के दौरे का इंतजार

लखीमपुर खीरी, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। लखीमपुर खीरी कांड का पूरा केंद्र किसान रहे हैं, जिन्हें कथित तौर पर 3 अक्टूबर को कुछ लोगों को कुचलकर मार डाला गया था, लेकिन उस घटना के बाद हुई हिंसा में कथित रूप से मारे गए भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवारों की कोई सुध नहीं ले रहा है।
लखीमपुर भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवार को अपने नेताओं के दौरे का इंतजार
लखीमपुर भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवार को अपने नेताओं के दौरे का इंतजार लखीमपुर खीरी, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। लखीमपुर खीरी कांड का पूरा केंद्र किसान रहे हैं, जिन्हें कथित तौर पर 3 अक्टूबर को कुछ लोगों को कुचलकर मार डाला गया था, लेकिन उस घटना के बाद हुई हिंसा में कथित रूप से मारे गए भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवारों की कोई सुध नहीं ले रहा है।

हिंसा में मारे गए दो स्थानीय भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवारों ने कहा कि अभी तक पार्टी का कोई भी वरिष्ठ नेता उनसे मिलने नहीं आया है।

32 वर्षीय श्याम सुंदर सिंघा कलां गांव में भाजपा के बूथ प्रभारी थे। उन्हें पार्टी के पक्ष में दलितों को लामबंद करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।

उनके पिता बालक राम ने कहा कि वह इलाके में बीजेपी के हर कार्यक्रम में हिस्सा लेते थे। वह पार्टी के प्रति वफादार थे। 3 अक्टूबर को भी वह केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी द्वारा आयोजित कुश्ती मैच में शामिल होने के लिए जल्दी निकल गए थे।

प्रदर्शनकारियों पर कारों के काफिले के दौड़ने के बाद किसानों द्वारा पीटे जाने पर दया की गुहार लगाते हुए श्याम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया है।

इस बीच किसान नेताओं का कहना है कि उन्होंने श्याम सुंदर को जिंदा पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था।

परेशान पिता ने कहा कि मैं इस बारे में निश्चित नहीं हूं कि वास्तव में क्या हुआ था, लेकिन अगर पार्टी के नेताओं ने मुझे न्याय दिलाने में मदद करने की कोशिश की तो यह गलत होगा। अभी तक यहां कोई भी नहीं पहुंचा है।

शुभम मिश्रा, अन्य भाजपा कार्यकर्ता, जिनकी 29 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई, वे भी भाजपा के बूथ प्रभारी थे।

उसकी तीन साल पहले शादी हुई थी और उसकी एक साल की बेटी है।

शुभम के पिता, एक व्यवसायी, विजय मिश्रा ने कहा कि वह भाजपा के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे, लेकिन भाजपा का एक भी वरिष्ठ नेता हमसे मिलने नहीं आया और किसी ने हमारे लिए लड़ाई नहीं लड़ी।

हालांकि दोनों परिवारों को राज्य सरकार की ओर से 45 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वह उन भाजपा कार्यकतार्ओं के परिवारों से मिलना चाहती थीं, जो हिंसा में मारे गए थे, लेकिन स्थानीय पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया।

--आईएएनएस

एमएसबी/आरजेएस

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