शुभेंदु अधिकारी ने गंगासागर पैनल से नाम हटाए जाने के बाद ममता पर किया पलटवार
गंगासागर में वार्षिक मकर संक्रांति उत्सव 8-16 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
शुभेंदु ने कहा, ममता बनर्जी का एक सूत्री एजेंडा है कि शुभेंदु अधिकारी को रोकना है। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि यह विपक्ष के नेता का सवाल है और सत्ताधारी दल की अध्यक्ष को उसे उचित सम्मान देना चाहिए। राज्य सरकार नेता प्रतिपक्ष से डरे हुई है।
कुछ दिन पहले, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गंगासागर मेले की तैयारियों को गति देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसमें अधिकारी को शामिल किया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने अधिकारी को शामिल करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी राजनीतिक व्यक्ति की उपस्थिति पैनल के उद्देश्य को विफल कर देगी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए अधिकारी को समिति से हटा दिया।
इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नंदीग्राम के भाजपा विधायक ने कहा, सवाल अधिकारी को समिति से हटाने का नहीं है। पूरी समिति को बदल दिया गया। वास्तव में, मैं समिति में नहीं रहना चाहता था, लेकिन यह उच्च न्यायालय का निर्णय था और राज्य सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए था।
अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा, संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष के नेता की उपेक्षा करना संभव नहीं है। एलओपी का महत्व है। उन्हें (बनर्जी) याद रखना चाहिए कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नाम सूचना आयुक्त के लिए, लोकायुक्त और राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए रोक दिया गया था, क्योंकि विपक्ष के नेता को विश्वास में लिए बिना एकतरफा निर्णय लिए गए थे।
--आईएएनएस
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