संपन्न हुई इस वर्ष की चारधाम यात्रा, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी पहुंची जोशीमठ
अब छह माह नृसिंह मंदिर जोशीमठ, एवं योग बदरी पांडुकेश्वर में शीतकालीन पूजाएं संपन्न होंगी। सोमवार को आदि गुरू शंकराचार्य की गद्दी प्रात कालीन पूजा-अर्चना के बाद श्रीयोगध्यान बदरी पांडुकेश्वर से रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान किया।
आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी के स्थान-स्थान पर स्वागत हुआ। श्रद्धालुओं ने फूलवर्षा की ग्रैफ कैंप में कर्नल मनीष कपिल की अगुवाई में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी तथा रावल जी का स्वागत किया। इस अवसर पर धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने अधिकारियों-जवानों को संबोधित किया तथा सड़क निर्माण हेतु उनकी प्रशंसा की। इसके पश्चात आदि गुरु की पवित्र गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंची।
यहां श्रद्धालुओं ने गद्दी की आगवानी की तथा फूलवर्षा कर स्वागत किया। इसके पश्चात नृसिंह मंदिर परिसर में गणेश पूजा तथा देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना आह्वान हुआ। इसके पश्चात प्रसाद वितरण हुआ।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल अवकाश प्राप्त गुरुमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बदरीनाथ धाम यात्रा सहित चारधाम यात्रा के सफल समापन पर प्रदेश- देश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी हैं।
आयुक्त गढ़वाल एवं उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बदरीनाथ धाम यात्रा के समापन पर बधाई दी ओर तीर्थयात्रियों का आभार जताया। कहा इस वर्ष उत्तराखंड चारधाम यात्रा कोरोना की विकट समय के साथ शुरू हुई लेकिन इस सबके बावजूद पांच लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम पहुंचे सीमित समय में यह एक उपलब्धि है।
इस अवसर पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह ने बताया कि श्रीयोगबदरी पांडुकेश्वर एवं नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो गयी हैं। उद्धव जी, कुबेर जी की पांडुकेश्वर में शीतकालीन पूजा शुरू हुई।
उल्लेखनीय है कि 20 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो गये थे। 21 नवंबर को रावल जी सहित श्री उद्धव जी श्री कुबेर जी की डोली तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी पांडुकेश्वर पहुंची।
उद्धव जी एवं कुबेर जी श्रीयोग बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान हुए। रविवार को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद सोमवार रावल जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंची। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो गयी। इसके साथ ही इस वर्ष की श्री बदरीनाथ यात्रा का समापन हो गया है।
आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के गद्दीस्थल नृसिंह मंदिर में स्थापित होने के कुछ देर बाद रावल जी अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, धर्माधिकारी के साथ अधिकारी-कर्मचारीगण गढवाल स्कॉट कैंप जोशीमठ में सेना के अधिकारियों- जवानों से भेंट करने पहुंचे तथा भगवान बदरीविशाल की ओर से आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर रावल जी एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, धर्माधिकारी सहित सभी आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया गया।
आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचने के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी मौजूद रहे।
जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित तथा जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग मनुज गोयल ने बताया कि जिलों में शीतकालीन यात्रा को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
देवस्थानम बोर्ड के हरीश गौड़ ने बताया कि श्री केदारनाथ धाम की शीतकालीन पूजा पंच केदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ तथा तीर्थ पुरोहितों से मिली जानकारी के मुताबिक यमुनोत्री धाम की शीतकालीन पूजा खरसाली(खुशीमठ), गंगोत्री धाम की शीतकालीन पूजा मुखबा ( मुखीमठ )में पहले ही शुरू हो गयी है। 5 नवंबर को गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए तथा 6 नवंबर को केदारनाथ धाम एवं यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हुए।
--आईएएनएस
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