सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के विनिवेश में सीबीआई जांच का दिया निर्देश, 29.5 फीसदी विनिवेश की अनुमति
शीर्ष अदालत ने सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच को बंद करने पर आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सीबीआई को तुरंत एक नियमित मामला दर्ज करने और 2002 में एचजेडएल में बहुमत हिस्सेदारी के विनिवेश के फैसले की पूरी तरह से जांच करने के लिए कहा। पीठ ने सीबीआई को उसके समक्ष नियमित स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
अरुण शौरी 2002 में केंद्र में वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में विनिवेश मंत्री थे।
विनिवेश की अनुमति देते हुए, पीठ ने कहा कि केंद्र को एचजेडएल के शेयरधारक के रूप में अपनी शेयरधारिता के विनिवेश के लिए कुछ निर्णय लेने का अधिकार है, जब तक कि प्रक्रिया पारदर्शी है।
एचजेडएल, वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी है, जिसके पास कंपनी में 64.9 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि भारत सरकार के पास 29.54 फीसदी हिस्सेदारी है।
2016 में, शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के प्रस्तावित विनिवेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। यह एक बड़ा झटका था, जिसने सरकार को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े जस्ता उत्पादक के विनिवेश की किसी भी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया और कंपनी के नियंत्रण में वेदांता रिसोर्सेज में भी देरी की।
--आईएएनएस
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