उल्फा-आई का असम पुलिस के एजेंट को कब्जे में लेने का दावा, पुलिस का इनकार


परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा-आई ने दावा किया कि उसने एक असम पुलिस एजेंट को कब्जे में लिया और उसकी पहचान कामरूप ग्रामीण जिले के बैहाटा चरियाली के मुक्तापुर के रहने वाले संजीव सरमा के रूप में की।
संगठन ने मंगलवार को एक बयान में दावा किया कि सरमा हाल ही में उल्फा-आई में शामिल हुआ है।
असमिया में बयान में कहा गया है, सरमा, हालांकि, असम पुलिस का जासूस है और उसे संगठन के बारे में रणनीतिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए उल्फा-आई में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।
उल्फा-आई द्वारा प्रसारित एक वीडियो संदेश में सरमा ने कथित तौर पर कहा कि उसे गुप्त अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया गया था और उसे कामरूप के जिला पुलिस अधीक्षक पार्थ सारथी महंत और सेना के अधिकारी धुनुमोनी सैकिया ने भेजा था।
वीडियो संदेश के अनुसार, सरमा ने कहा कि उन्हें कार्य के लिए 1 करोड़ रुपये का इनाम देने का आश्वासन दिया गया था।
महंत ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उल्फा-आई खेमे में किसी एजेंट को भेजने के इस तरह के किसी भी कदम से इनकार किया।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जिनके पास गृह विभाग है, ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उल्फा-आई के दावे पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत है।
उल्फा-आई, जिसने पिछले एक साल के दौरान एकतरफा युद्धविराम को दो बार बढ़ाया है और पिछले साल के स्वतंत्रता दिवस के दौरान बंद और बहिष्कार का आह्वान नहीं किया है, और इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह ने हाल ही में कुछ युवाओं को अपने सशस्त्र संवर्ग के रूप में भर्ती किया है।
--आईएएनएस
एसजीके