75 वर्षों में हमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना नहीं बढ़े : मोहन भागवत

नई दिल्ली , 21 नवंबर ( आईएएनएस )। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि पिछले 75 वर्षों में हमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना नहीं बढ़े। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पास ताकत तो है लेकिन इसके लिए कर्म भी करना चाहिए। उन्होने कहा कि देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे, तभी तो आगे बढ़ेंगे। हम उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़ पाए।
75 वर्षों में हमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना नहीं बढ़े : मोहन भागवत
75 वर्षों में हमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना नहीं बढ़े : मोहन भागवत नई दिल्ली , 21 नवंबर ( आईएएनएस )। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि पिछले 75 वर्षों में हमें जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना नहीं बढ़े। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे पास ताकत तो है लेकिन इसके लिए कर्म भी करना चाहिए। उन्होने कहा कि देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे, तभी तो आगे बढ़ेंगे। हम उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़ पाए।

राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से नई दिल्ली में संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा आयोजित संत ईश्वर सम्मान-2021 समारोह में बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चींटी का उदाहरण देते हुए कहा कि चींटी का भी मागइग्रेशन होता है, ये भी एक गांव से दूसरे गांव चले जाते हैं। उन्होने कहा कि हमारे पास ताकत और क्षमता तो है, लेकिन इसके लिए कर्म भी करना चाहिए।

इस कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि दुनिया के सभी देशों में मिलाकर जितने महापुरुष हुए होंगे उससे कहीं अधिक भारत में हुए हैं। उन्होने कहा कि जय श्रीराम का नारा तो सभी लगाते हैं लेकिन उनके जैसा कर्म भी करना चाहिए। भरत की तरह भाई को प्रेम करने वाला भाई भी होना चाहिए लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं। परिवार के महत्व के बारे में बोलते हुए भागवत ने कहा कि अगर परिवार का आचरण ठीक से रखा जाए तो देश की पीढ़ी भटक नहीं सकती है।

धर्म के बारे में बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि लोग धर्म को पूजा की ²ष्टि से देखते हैं जबकि धर्म, मानव धर्म है और इसी तरह का हिंदू धर्म हिंदूस्तान से निकला है। उन्होने सेवा के लिए टिकट और पद पाने की सिफारिश लेकर आने वाले व्यक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि मजबूरी में किया गया कार्य सेवा कार्य नहीं हो सकता है।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद थे।

--आईएएनएस

एसटीपी/आरजेएस

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