87 फीसदी पाकिस्तानियों के मुताबिक गलत दिशा में जा रहा है देश

नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। रिसर्च कंपनी आईपीएसओएस पाकिस्तान द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण में कहा गया है कि 87 फीसदी पाकिस्तानियों का मानना है कि देश गलत दिशा में जा रहा है।
87 फीसदी पाकिस्तानियों के मुताबिक गलत दिशा में जा रहा है देश
87 फीसदी पाकिस्तानियों के मुताबिक गलत दिशा में जा रहा है देश नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। रिसर्च कंपनी आईपीएसओएस पाकिस्तान द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण में कहा गया है कि 87 फीसदी पाकिस्तानियों का मानना है कि देश गलत दिशा में जा रहा है।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने किए गए सर्वेक्षण में लगभग 1,100 लोगों ने भाग लिया था।

उपभोक्ता विश्वास सूचकांक पर आईपीएसओएस की चौथी तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार, 43 प्रतिशत पाकिस्तानी मुद्रास्फीति को देश की सबसे बड़ी समस्या मानते हैं।

उत्तरदाताओं में से चौदह प्रतिशत ने बेरोजगारी को पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे अधिक परेशान करने वाला मुद्दा बताया, जबकि 12 प्रतिशत ने गरीबी को सबसे महत्वपूर्ण मामला बताया।

सर्वेक्षण के छत्तीस प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को कमजोर बताया और केवल 5 प्रतिशत ने इसे इसे सही बताया।

आईपीएसओएस के मुताबिक पिछले सर्वे में 26 फीसदी पाकिस्तानियों ने महंगाई को देश का सबसे बड़ा मुद्दा बताया था।

सर्वेक्षण के अनुसार, कोरोना वायरस को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा घोषित करने वाले उत्तरदाताओं का प्रतिशत 18 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत हो गया है।

सर्वेक्षण से पता चला कि लोगों ने सभी मुद्दों पर मुद्रास्फीति और आर्थिक समस्याओं को सबसे ऊपर सूचीबद्ध किया है। इसने यह भी नोट किया कि बढ़ती कीमतें और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं जो ज्यादातर लोगों को चिंतित करते हैं।

पाकिस्तानियों का प्रतिशत जिन्होंने कहा कि देश गलत दिशा में जा रहा है, पिछले 27 महीनों में सबसे अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर, सर्वेक्षण के 49 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि ऐसा ही है, लेकिन 46 प्रतिशत अपने उत्तर में स्पष्ट थे और कहा कि यह कमजोर था। केवल 5 प्रतिशत ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत है।

अगले छह महीनों में आर्थिक स्थिति में सुधार के बारे में पूछे जाने पर, 64 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं दिख रहा है, जबकि 12 प्रतिशत को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। चौबीस प्रतिशत न तो आशान्वित थे और न ही निराश।

जब उनसे उनकी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति के बारे में पूछा गया, तो 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह कमजोर और अस्थिर है, जबकि 5 प्रतिशत ने उत्तर दिया कि यह मजबूत है। हालांकि, 48 फीसदी ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति न तो कमजोर है और न ही मजबूत है।

इप्सोस के मुताबिक जून 2021 के बाद आर्थिक स्थिति को कमजोर मानने वालों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अगले छह महीने में निजी आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर 63 फीसदी ने आशंका जताई कि यह कमजोर रहेगा।

हालांकि, 13 फीसदी को उम्मीद थी कि यह बेहतर होगा, जबकि 24 फीसदी अपने जवाब में अनिश्चित थे।

--आईएएनएस

एमएसबी/आरजेएस

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