प्रगतिशील कृषकों हेतु दो दिवसीय आई. पी. एम. ओरिएंटेशन एच.आर. डी. कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

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 *लखनऊ:* भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत  क्षेत्रीय  केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ द्वारा इंटीग्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंस एंड टेक्नोलॉजी,  इंटीग्रल विश्व विद्यालय, लखनऊ  में दो दिवसीय  आई. पी. एम. ओरिएंटेशन एच. आर. डी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ I रीजनल सेन्ट्रल आई. पी. एम. सेंटर के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह  तथा इंटीग्रल विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की विभागाध्यक्ष डा. सबा सिद्दीकी एवं अन्य अधिकारियों ने  दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया I

जनपद में स्थित केंद्र सरकार के रीजनल सेंट्रल आई.पी.एम. सेंटर के संयुक्त निदेशक डा. ज्ञान प्रकाश सिंह ने इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई . पी. एम.) पर प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु आये हुए  प्रगतिशील किसानों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की वर्तमान प्रासंगिकता तथा महत्व के बारे में बताया I

  भारत सरकार के संयुक्त निदेशक ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों द्वारा फसलों को कीट एवं बीमारियों  से बचाने  के लिए किसानों द्वारा रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है I रासायनिक कीटनाशक हर किसी के स्वास्थ्य के साथ – साथ पर्यावरण के लिए भी बेहद नुकसानदेह है I

इसलिए जरुरी है कि  कृषकों को प्रेरित किया जाये जिससे किसान  एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को अपनाएं । उन्होंने यह भी कहा कि आई पी एम अपनाकर उत्पादन किए गए  सब्जियों में रसायनिक कीटनाशक के अवशेष नहीं पाए जाते हैं परिणामस्वरूप सब्जियों के निर्यात में सहायता मिलती है जो कि किसानों की आय दोगुनी करने में एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो रहा है।  डा. सिंह ने कहा कि किसानों को जरुरत पड़ने पर केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक  ही  अंतिम विकल्प के तौर पर  उपयोग करना चाहिए I

डा. सबा सिद्दीकी, विभागाध्यक्ष, कृषि विभाग, इंटीग्रल विश्वविद्यालय ने किसानों को संबोधित करते हुऐ कहा कि  किसान आई. पी.एम. के अंतर्गत आने वाले अन्य तकनीकी के साथ जैविक कीटनाशकों के  प्रयोग पर जोर दें  ।   उन्होंने  कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि पौध संरक्षण के लिए आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें।  डा. अंबरीश सिंह यादव, सहायक प्राध्यापक  ने  किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आई.पी.एम. वनस्पति संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता एवं प्रकृति को सुरक्षित रखता है  I 

शैलेश कुमार, वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने किसानों को सर्वेक्षण एवं निगरानी विषय पर जानकारी देने के साथ- साथ चूहा नियंत्रण के बारे में भी जानकारी प्रदान किया। के पी पाठक, वनस्पति संरक्षण आधिकारी द्वारा एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आई.पी.एम.) के विभिन्न अवयव के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी I सुधीन्द्र संशी, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी  ने खरीफ मौसम की फसलों में लगने वाले बीमारियों के लक्षण एवं उसके  प्रबन्धन के बारे में जानकारी प्रदान किया।

सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी अमित सिंह द्वारा खरीफ मौसम की फसलों में लगने वाले कीट की पहचान तथा उसके प्रबन्धन के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। डॉ. राहुल सुतार, ए.पी. पी. ओ. ने   आई. पी. एम. के अंतर्गत आने वाली विधियों जैसे शस्य क्रियाएं तथा धर्म राज सिंह ने यांत्रिक प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया I

आर सी आई पी एम सी के ए पी पी ओ  फराज अहमद खान ने फसल संरक्षण की जैविक विधि के बारे में प्रशिक्षित किया। डा केशवमूर्ति जी एम ने रासायनिक कीटनाशकों के सुरक्षित एवं विवेकपूर्ण उपयोग से सम्बन्धित विषय पर जानकारी प्रदान किया।आर सी आई पी एम सी लखनऊ द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का किसानों द्वारा उत्साह के साथ अवलोकन किया गया ।

केंद्रीय टीम द्वारा विश्व विद्यालय स्थित किसानों  के साथ खेत में जाकर मित्र कीट एवं शत्रु कीटों की पहचान कराई गई और फसलों में कीड़े के यांत्रिक नियन्त्रण हेतु फेरोमोन ट्रैप, फल मक्खी ट्रैप, लाइट ट्रैप,पीला और नीला चिपचिपा ट्रैप लगाकर उसके कार्य करने के ढंग के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे कृषकों को केंद्रीय टीम द्वारा जैविक फंफूदनाशी एवं कीटनाशी ट्राईकोडर्मा, ब्यूवेरिया बैसियाना तथा मेटाराईजियम इत्यादि  वितरित किया गया।  प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला कृषकों ने बढ़ - चढ़ कर भाग लिया ।  कार्यक्रम का सफल संचालन अमित सिंह, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा  किया गया  I

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