Modi Govt 3.0: मोदी सरकार आने के बाद पहले 100 दिनों में क्या होगा जानिए

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समाचार डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद नई सरकार के लिए रेलवे ने अपनी 100 दिन की योजना तैयार कर ली है। इसमें 24 घंटे में टिकट रिफंड, रेलवे की विभिन्न सुविधाओं के लिए एक व्यापक सुपर एप, तीन इकोनमिक कारिडोर और स्लीपर वंदे भारत ट्रेन जैसे विभिन्न यात्री अनुकूल कदम शामिल हैं।

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि नई टिकट रिफंड स्कीम के तहत तीन दिनों से एक हफ्ते की रिफंड प्रक्रिया के स्थान पर 24 घंटे में रिफंड सुनिश्चित किया जाएगा। रेलवे एक सुपर एप शुरू करेगा जिसमें टिकट को बुक व कैंसिल कराने, ट्रेनों की लाइव ट्रैकिंग और ट्रेनों में खाने की बुकिंग जैसी रेलवे से जुड़ी सभी सुविधाएं होंगी।

रेलवे के लिए सौ दिनों के एजेंडे में सभी रेल यात्रियों के लिए 'पीएम रेल यात्री बीमा योजना' के नाम से बीमा योजना शामिल है। रेलवे की आधुनिकीकरण योजना के तहत आधुनिक विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ अगले पांच वर्षों में रेलवे में आमूलचूल बदलाव के लिए 10 से 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।वंदे भारत ट्रेनों को देशभर में तीन श्रेणियों में शुरू किया जाएगा। 

100 किलोमीटर के मार्गों पर वंदे मेट्रो, 100 से 550 किलोमीटर के मार्गों पर वंदे चेयरकार और 550 से अधिक के मार्गों पर वंदे स्लीपर ट्रेन चलेंगी। वर्तमान में वंदे भारत ट्रेनें देशभर में लगभग 50 मार्गों पर चल रही हैं। अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन का अप्रैल, 2029 में परिचालन शुरू हो जाएगा। साथ ही उत्तर, दक्षिण एवं पूर्वी भारत में तीन और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं की व्यवहार्यता का अध्ययन कराया जाएगा। 

रेलवे ने 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 40 हजार किलोमीटर से अधिक के तीन इकोनमिक कारिडोर की योजना भी बनाई है।1,300 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों का निजी भागीदारी से आधुनिकीकरण किया जाएगा। इन स्टेशनों पर शिपिंग माल और हवाई अड्डों की तर्ज पर वेटिंग लाउंज जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी। 

मेट्रो नेटवर्क का और अधिक शहरों में विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में 20 शहरों में मेट्रो चल रही हैं या काम शुरू हो गया है। अधिक आवृत्ति वाली रैपिड रेल जैसी और अधिक ट्रेनों की योजना बनाई गई है, दिल्ली-मेरठ के बीच एक रैपिड ट्रेन को आंशिक रूप से शुरू किया जा चुका है।

लेबर कोड लागू करने से लेकर टैक्स विसंगतियों में सुधार
सभी मंत्रीगण भले ही चुनाव लड़ने या फिर प्रचार में जुटे हैं, लेकिन मंत्रालय के सभी अधिकारी आगामी सरकार के 100 दिनों के एजेंडा को तैयार करने में जोर-शोर से जुटे हैं। आगामी शुक्रवार को कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 100 दिनों के एजेंडा को अंतिम रूप देने के लिए बैठक आयोजित हो सकती है। 

सूत्रों के मुताबिक नई सरकार के आगामी 100 दिनों में उन आर्थिक मसलों पर फैसला किया जाएगा या उन मामलों को आगे बढ़ाया जाएगा जो अब तक लंबित है। इनमें लेबर कोड को लागू करने से लेकर जीएसटी को तार्किक बनाना शामिल हो सकता है। मैन्यूफैक्चरिंग को अगले चरण पर ले जाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से इतर दर्जन भर सेक्टर के चयन एवं डिजिटल इकोनॉमी के दायरे को बढ़ाने के साथ ई-स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी आगामी 100 दिनों के एजेंडा में शामिल किया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक नया लेबर कोड (श्रम संहिता) पिछले एक साल से भी अधिक समय से तैयार है और अधिकतर राज्यों ने भी इसकी तैयारी कर ली है, लेकिन इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है। लेबर कोड के लागू होने पर न्यूनतम मजदूरी तय होने के अलावा घरों में सेवा देने वाले श्रमिकों व संगठित सेक्टर के श्रमिकों के कार्य नियम में बदलाव आ जाएगा। 

पिछले साल तक इसे लागू करने के बारे में मंत्रालय से बार-बार यह कहा जाता था कि जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा।वैसे ही जीएसटी की दरों को तार्किक बनाने का भी फैसला नई सरकार के 100 दिनों में हो सकता है। हालांकि यह फैसला जीएसटी काउंसिल के हाथ में है, लेकिन वित्त मंत्री काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं, इस नाते काफी कुछ वित्त मंत्रालय पर निर्भर करता है। 

अभी कई ऐसे उत्पाद है जिनके कच्चे माल की जीएसटी दर कुछ और है और तैयार माल की कुछ और। टेक्सटाइल चेन में यार्न, फैबरिक व गारमेंट पर अलग-अलग जीएसटी दर है। इस प्रकार की विसंगतियों को दूर करने पर फैसला हो सकता है।मैन्यूफैक्च¨रग व वस्तु निर्यात को अगले चरण पर ले जाने के लिए एजेंडा तैयार किया जाएगा। 

वहीं निर्यात में अधिक से अधिक एमएसएमई की भागीदारी के लिए भी स्कीम बनाने पर फैसला हो सकता है। अगले दो-तीन सालों में डिजिटल इकोनामी की आठ प्रतिशत की हिस्सेदारी को 20-25 प्रतिशत तक ले जाने को लेकर भी नई सरकार अभी से अपने प्रयास शुरू कर देगी। इस दिशा में भी कैबिनेट सचिव की बैठक में चर्चा हो सकती है।

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